WhatsApp

जानलेवा गर्मी में मुर्गियों को कैसे रखें कूल ?

Poultry farming in summer season

हमारे देश में लगभग हर 3-4 महीनों में मौसम बदल जाता है । ऊपर से जलवायु परिवर्तन और धरती के बढ़ते तापमान से इंसान ही नहीं, पशु-पक्षी भी प्रभावित हैं । मनुष्य तो जैसे-तैसे अपना बचाव कर लेता है लेकिन पशु-पक्षी क्या करें ? कहां जायें ? क्या खायें और क्या न खायें ? ऐसे में पशुपालन से जुड़े व्यवसायियों के लिए गर्मी एक बड़ी चुनौती है । इस Blog में आप जानेंगे कि गर्मियों में मुर्गीपालन में क्या सावधानी बरती जाये और Refit Animal Care कैसे मददगार साबित हो सकता है ।  

चूजे, मुर्गे, मुर्गियां और गर्मी (Chicks, Roosters, Hens and Summer)

गर्मियों में चूजे, मुर्गे और मुर्गियों की देखभाल करते समय ध्यान रखना होगा कि मुर्गियों के शरीर का तापमान मनुष्यों की तुलना में बहुत अधिक यानी आमतौर पर 102 – 103 डिग्री फ़ारेनहाइट रहता है । आम तौर पर उनकी हृदय गति 280 – 315 बीट प्रति मिनट होती है। चूजे तो 42 डिग्री सेल्सियस तक का तापमान आसानी से झेल सकते हैं जबकि मुर्गे-मुर्गियों को दिक्कत होती है । इसीलिए वे अक्सर छाया की तलाश में रहते हैं । वे लेटते हैं और ठंडा होने के लिए अपने पंख को फैलाते रहते हैं । पंखों को फैलाकर परतों के बीच हवा को फँसाते हैं जो ठंड के मौसम में इन्सुलेशन प्रदान करता है। अक्सर वे मुंह खुला रखकर हांफते हुए दिखते हैं । भूख कम लगती है लेकिन प्यास ज्यादा । ऐसे में मुर्गियां अंडे भी कम देने लगती हैं ।  

कैसा हो पोल्ट्री फार्म  ? ( How should be the poultry farm? )

ऐसे में सबसे ज्यादा जरूरी है पोल्ट्री फार्म को ठंडा रखना । इसके लिए खिड़कियों को पर्दे से आधा ढकना जरूरी है ताकि सीधी धूप न पहुंच सके और हवा भी आती रहे । मुर्गीघर की छत की तपिश घटाने के लिए चूने की मोटी परत से सफेदी करवाकर घास-फूस या पुआल इत्यादि डाल देना चाहिए । छत पर पैरा डालकर उसमें स्प्रिंकलर या फॉगर के माध्यम से पानी डाला जा सकता है । छत पर दिन में 3-4 बार पानी छिड़कने से शेड का तापमान 5°से 10°F तक  कम हो जाता है। अर्थात कमरे का ठंडा और हवादार होना बेहद जरूरी है ।

दूरी है बहुत जरूरी (Distance is very important )

इसी तरह फॉर्म में मुर्गियों के बीच की आपसी दूरी को बढ़ा कर रखें, उन्हें खुलकर घूमने के लिए पर्याप्त जगह प्रदान करें और किसी भी सूरत में एक जगह जमावड़ा न होने दें । मुर्गे को ठंडी मिट्टी में लोटने से बेहतर कुछ भी पसंद नहीं है इसलिए वैसे इंतजाम भी रखें । गर्मी में पोल्ट्री फार्म के इंतजामों में बदलाव करने में जरा भी न हिचकिचाएं । 

कूल रखेगा ठंडा पानी (Cold water will keep you cool )

इसी तरह फार्म में साफ और ताजा पानी हर समय पर्याप्त रूप से उपलब्ध हो । पानी का बर्तन भी जहां तक हो सके मिट्टी का होना चाहिए जिससे पानी का ठंडापन बना रहे । गर्मियों में सूखे की बजाय गीला भोजन लाभदायक होता है हालांकि ऐसा भोजन जल्दी खराब हो जाता है इसलिए इसे जल्दी ही खपा देना चाहिए ।

क्या खिलाएं, क्या न खिलाएं ? (What to feed, what not to feed? )

गर्मियों में मुर्गियों का आहार प्रबंधन जरूरी है क्योंकि भूखे पक्षियों का मेटाबॉलिक ताप उत्पादन 20-70 प्रतिशत कम होता है । इसलिए सुबह और शाम उन्हें पर्याप्त और पौष्टिक आहार जरूर दें । पाचन से उत्पन्न गर्मी को कम करने के लिए कार्बोहाइड्रेट्स बराबर दें । भोजन में एंटी-ऑक्सिडेंट्स और एंटी-डायरिया (Anti Diarrhoeal Vitamins for Poultry) जैसे विटामिन E  और विटामिन C को शामिल करने से गर्मी के दौरान बढ़ी मृत्यु दर कम होती है।

इलेक्ट्रोलाइट लिक्विड का लें सहारा (Take help of electrolyte liquid)

गर्म मौसम में मुर्गियाँ तनाव, थकावट और हीट स्ट्रोक की चपेट में आ सकती हैं और अपने मालिक के ध्यान न देने पर जान तक गंवा देती हैं । गर्मी और तपिश से तनाव के कारण पशुओं में निर्जलीकरण (dehydration) और दस्त (Diarrhea) आम हो जाता है । यही नहीं अंडे और नये चूजों का उत्पादन भी कम हो जाता है। ऐसे में उन्हें इलेक्ट्रोलाइट्स (Electrolyte Liquid for Poultry) देना एक कारगर रणनीति है । इलेक्ट्रोलाइट्स अत्यधिक गर्मी से तनाव के कारण गंवाये हुए पोषक तत्वों और खनिजों की भरपाई करते हैं। वे रोग प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाते हैं और पशु-पक्षियों के गुर्दे और श्वसन प्रणाली को स्वस्थ रखते हैं । Refit Animal Care के DRIZLYTE LIQUID और R-COOL की कई विशेषताएं हैं, जैसे –

यह उच्च गुणवत्ता वाले विटामिन और खनिजों से बना है
✓ मुर्गीपालन, पक्षी, गाय-भैंस और घोड़े के लिए लाभदायक है
✓ मौखिक पुनर्जलीकरण के साथ ही तनाव-डायरिया रोधी है
✓ यह एक पोल्ट्री फ़ीड सप्लीमेंट और बर्ड फूड सप्लीमेंट है

पशुधन में तनाव एक बड़ी समस्या है जिससे उनकी कार्यक्षमता कम हो जाती है। पोल्ट्री के मामले में तनाव की वजहें हैं – गर्मी, निर्जलीकरण, चोंच निकलना, एलर्जी, प्रजनन, टीकाकरण और इत्यादि । अगर इन पर ध्यान न दिया जाये तो आगे चलकर ऊर्जा संतुलन बिगड़ना, कीटोसिस (ketosis), हाइपोकैल्सीमिया (hypocalcemia ) जैसी गंभीर स्थिति पैदा हो जाती है। तनाव की स्थिति में पोषण की कमी के चलते शेल फ्रैक्चर, पैर की कमजोरी और कोक्सीडियोसिस (coccidiosis ) की समस्या भी हो सकती हैं।

आज ही Refit Animal Care हेल्पलाइन +91-72399 72499 पर संपर्क करें ।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *