मुंहपका-खुरपका रोग (Foot and Mouth Disease – FMD) फटे खुर या दो खुर वाले पशुओं में जैसे गाय, भैंस, बकरी, हिरन, भेड़, सूअर तथा अन्य जंगली पशुओ में होने वाला एक अत्यंत संक्रामक एवं विषाणु जनित रोग है। FMD रोग गायों और भेसों को अधिक प्रभावित करता है. यह रोग एक अत्यंत संक्रामक वायरस (Aphtho virus) है, जो संक्रमित जानवरों के लार, मूत्र और मल के माध्यम से फैलता है, इसके अलावा, संक्रमित पशुओं के दूध और मांस के माध्यम से भी यह रोग फैल सकता है। यह वायरस संक्रमित जानवरों के खासने या छीकने से हवा में भी फैल सकता है।
इस रोग से ग्रसित पशुओं के मुंह, जीभ, होंठ, मसूड़ों और खुरों पर छोटे छोटे छाले हो जाते हैं जो बाद में मिलकर बड़े हो जाते हैं और घाव बनाते हैं। इस रोग से पशुओं को तेज बुखार (104०F – 106०F), दर्द, और खाने-पीने में परेशानी होती है, छोटे जानवरों के मामलों में यह रोग जानलेवा भी हो सकता है।
मुंहपका-खुरपका रोग का कोई इलाज नहीं है, लेकिन इस रोग के लक्षणों को कम किया जा सकता है। इस रोग की चपेट में आने से पहले ही पशुओं को इस रोग के टिके लगवा लेना आवश्यक है। बड़े दुधारू पशुओं में इस रोग के लक्षणों को काम करने के लिए दर्द निवारक दवाएं, एंटीबायोटिक्स, और तरल पदार्थ दिए जाते हैं।
मुंहपका-खुरपका (FMD) रोग के मुख्य लक्षण
- मुंह और खुरों में छाले
- खुरों में घाव एवं कीड़े (Maggots) पड़ना
- बुखार (39-40 डिग्री सेल्सियस)
- दर्द
- जीभ, मसूड़ों, होटों पर छाले
- खाने-पीने में परेशानी
- मुँह से लगातार लार निकलना
- लंगड़ाना
- दुग्ध उत्पादन में बहुत कमी
- थकान या कार्य क्षमता में कमी
मुंहपका-खुरपका रोग को कम करने के लिए उपचार
मुंहपका-खुरपका रोग का कोई इलाज नहीं है लेकिन इस रोग से बचाव के लिए निम्नलिखित उपाय किए जा सकते हैं।
- पशुओं को स्वच्छ और स्वस्थ रखें।
- पशुओं को संक्रमित पशुओं के संपर्क में आने से बचाएं।
- घावों की देखभाल।
- कीड़ों और मक्खियों को घाव से दूर रखें।
- पशुओं को आसानी से पचने वाले (लिक्विड डाइयट) आहार दें.
- पशु चिकित्सा अधिकारी को सूचित करें।
- पशु चिकित्सक कर निर्देशों के अनुसार उपयुक्त दवा दें।
मुंहपका-खुरपका (एफ़एमडी) रोग का इलाज नहीं है, लेकिन इसका टीकाकरण किया जा सकता है. टीकाकरण से इस बीमारी से बचाव किया जा सकता है. पशु चिकित्सक से मुंहपका-खुरपका रोग टीकाकरण के बारे में जानकारी लें।