भेड़-बकरी के वजन का रखें ध्यान, कमी पर हो सकता है भारी नुकसान, बरतें ये खास सावधानियां !

bhed bakri ka vajan sahi rakhna

एक पशुपालक के लिए बकरी और भेड़पालन (goat and sheep farming) का मकसद पशुओं की तादाद और वजन में बढ़ोतरी करना है, ताकि ज्यादा व्यवसायिक लाभ कमाया जा सके । लेकिन कई बार देखा गया है कि चारे की उत्तम व्यवस्था (fodder arrangement) रखने के बावजूद कुछ जाने-अनजाने कारणों से भेड़-बकरियों का वजन धीरे-धीरे कम होता रहता है वो कमजोर हो जाते हैं। इसके लिए पशुपालक का चौकन्ना रहना जरूरी है । पशु के वजन में कमी का सीधा मतलब है किसान की आमदनी में कमी । आइये इस Blog जानते हैं कि बकरी-भेड़ में वजन की कमी (sheep and goats losing weight) कैसे होती है और इससे निपटने के लिए क्या सावधानियां (precautions) बरतनी चाहिए ।

पोषक तत्व हैं जरूरी –

स्वस्थ पशुओं में पोषक तत्वों का सेवन और अवशोषण (absorption) अधिक होता है जबकि कम वजन वाले पशु (underweight animals) की उत्पादकता और प्रजनन क्षमता पूरी तरह काम नहीं करती है । यह भी संभव है कि पशु के भीतर कोई रोग चुपचाप पनप रहा हो, चारे के पाचन में दिक्कत आ रही हो या फिर मल-मूत्र के माध्यम से पोषक तत्वों की हानि हो रही हो । गलत आहार के कारण भी पशुओं में पोषक तत्वों की कमी (Nutrient deficiency in animals) हो जाती है। खराब गुणवत्ता वाली आहार सामग्री, व्यापक रूप में सूखा या अकाल जैसी स्थिति या फिर पोषण के विपरीत कारकों की अधिकता से भी समस्या पेदा हो सकती है । ये स्थितियां पोषक तत्वों के ग्रहण, पाचन और अवशोषण में रुकावट डालती हैं । इसलिए ध्यान रखना होगा कि पशु चारे का प्रबंधन कितना भी उत्तम हो, पशु पोषण के प्रबंधन (animal nutrition management) में कोई कमी नहीं होनी चाहिए ।

समय-समय पर करायें जांच

शारीरिक दशा की समय-समय पर जांच से बकरी और भेड़ (bakri aur bhed) में पोषक तत्वों की कमी या किसी छिपी हुई बीमारी को आसानी से पहचाना जा सकता है और फिर किये जा सकते हैं इसकी रोकथाम के उपाय । कई बार दब्बू या कमजोर किस्म के पशु समूह में चारा खाते वक्त तेज-तर्रार पशुओं से पिछड़ जाते हैं, जिसके लिए खराब चारा प्रबंधन (poor feed management) जिम्मेदार है । ताकतवर और बड़े पशु, कमजोर पशुओं के आहार पर भी अपना अधिकार जमा लेते हैं। इससे कमजोर पशु (weak animal) और अधिक कमजोर होते जाते हैं। इसलिए पशुओं की उम्र, नस्ल, लिंग और शारीरिक स्थिति के आधार पर ही समूह बनाना उचित होता है। कई बार पशुपालक कुछ सुने-सुनाये घरेलू नुस्खों का भी प्रयोग करते हैं जिसके परिणाम अक्सर उल्टे आ जाते हैं ।

खनिज पदार्थ की कमी घातक –

कोबाल्ट, कॉपर, आयरन व सेलिनियम (Cobalt, Copper, Iron and Selenium) जैसे सूक्ष्म पोषक तत्व हर पशु के लिए आवश्यक हैं। इनकी कमी अथवा असंतुलन के कारण भी पशुओं वजन कम होता है। कोबाल्ट की कमी (cobalt deficiency) से शारीरिक वजन में वृद्धि रुक जाती है। इसी प्रकार कॉपर की कमी (copper deficiency) से भेड़-बकरी के बच्चों (मेमनों) का विकास कम हो जाता है और कई बार असमय मृत्यु तक हो जाती है । यह स्थिति पशुपालकों के लिए आर्थिक रूप से नुकसानदेह है । भेड़पालन एवं बकरीपालन में सेलिनियम भी एक अत्यधिक महत्वपूर्ण तत्व है, जिसकी कमी से मादा पशुओं में गर्भपात और प्रजनन संबंधी समस्या (Abortion and reproductive problems in female animals) बढ़ जाती है। बच्चे भी कमजोर या मृत पैदा होते हैं। जो बच्चे जीवित रहते हैं उनका विकास ठीक से नहीं होता और मृत्यु की संभावना बनी रहती है । इसे व्हाइट मसल रोग (white muscle disease) कहा जाता है। भेड़ और बकरियों को पांच आवश्यक पोषक तत्व अवश्य लेने चाहिए- पानी, ऊर्जा (कार्बोहाइड्रेट और वसा), प्रोटीन, विटामिन और खनिज। इन पोषक तत्वों की कमी से बीमारी, खराब विकास या उत्पादकता और  कुछ मामलों में  मृत्यु भी हो सकती है।

जाहिर है इन समस्याओं के निदान के लिए पशुओं को खनिज मिश्रण (mineral mixture for animals) उचित मात्रा में मिलते रहना चाहिए । इससे न सिर्फ उनका वजन नियंत्रित रहेगा बल्कि उत्पादन और प्रजनन क्षमता भी बेहतर रह सकेगी ।  

SUPER MASS की मदद लें –

इस मामले में REFIT ANIMAL CARE का SUPER MASS एक परफेक्ट फीड सप्लीमेंट पाउडर (feed supplement powder) है, जो खनिज, जड़ी-बूटी और टॉनिक के मिश्रण से तैयार एक जबरदस्त फॉर्मूला है । ये बकरी और भेड़ के शारीरिक विकास (Physical development of goat and sheep) के लिए बहुत लाभकारी है जिसे पशु के सभी जीवन चरणों में दिया जा सकता है । ये बकरी में हड्डियों के स्वास्थ्य में सुधार करता है, ऊर्जा संतुलन बनाए रखता है, मांसपेशियों को बेहतर बनाता है और रोग से लड़ने की ताकत बढ़ाता है । इसके अलावा बालों के रखरखाव और विकास, प्रजनन और  स्तनपान के साथ ही उत्पादकता के लिए भी फायदेमेंद है । इसमें बड़ी संख्या में ऐसे घटक (Constituent) हैं जो समग्र स्वास्थ्य में सुधार करते हैं ।

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