मछलीपालकों के लिए मदद कर रही केंद्र सरकार, इन 10 स्कीम से करें अपने सपने साकार

मछलीपालन सरकारी योजना

भारत दुनिया का तीसरा सबसे बड़ा मछली उत्पादक और दूसरा सबसे बड़ा जलीय कृषि (Aquaculture) उत्पादक देश है। अर्थव्यवस्था में मछलीपालन का बड़ी भूमिका है और इससे लाखों मछुआरों की आजीविका जुड़ी हुई है । सरकार की कई योजनाएं मछलीपालन व्यवसाय (fishing business) को आसान और फायदेमंद बनाती हैं। इस Blog में हम आपके लिए केंद्र सरकार की मछलीपलन पर लोन से जुड़ी 10 योजनाओं (Central Government’s Top Ten Fisheries Loan Scheme) की जानकारी लेकर आये हैं ।  

  1. प्रधानमंत्री मत्स्य संपदा योजना (PMMSY):
    इस योजना का उद्देश्य है – मत्स्यपालन और मछली उत्पादन को बढ़ाना । इसमें तकनीकी सहायता और ऋण सुविधाएं प्रदान की जाती हैं, जिसमें अंतर्देशीय और समुद्री मछलीपालन दोनों शामिल हैं। लोन लेने के लिए, किसानों को किसान क्रेडिट कार्ड (KCC) बनवाना होगा जिससे उन्हें 5 लाख रुपए तक का लोन मात्र 4% की ब्याज दर पर मिल सकता है । समय पर लोन चुकाने पर ब्याज में छूट भी मिलती है ।
  2. नाबार्ड योजना (NABARD Scheme):
    राष्ट्रीय कृषि और ग्रामीण विकास बैंक (NABARD) मछलीपालन क्षेत्र में ऋण उपलब्ध कराता है। इसमें उधारी पर रियायतें दी जाती हैं और छोटी परियोजनाओं से लेकर बड़े पैमाने पर मछलीपालन की योजना को भी कवर किया जाता है। बस, संबंधित व्यक्ति या समूह के पास मछलीपालन की एक अच्छी परियोजना (fisheries related project) का प्रस्ताव होना चाहिए।
  3. प्रधानमंत्री मुद्रा योजना (PMMY):
    Pradhan Mantri Mudra Loan Scheme के तहत छोटे मछली पालन व्यवसायों के लिए लोन दिया जाता है, खासकर उन लोगों को जिनके पास उधारी का कोई विकल्प नहीं होता। इस स्कीम का उद्देश्य स्व-रोजगार के साथ रोजगार के नये मौके बनाना भी है । योजना के तहत लोन हासिल करने की एक आसान सी प्रक्रिया है । इसके तहत 3 तरह के लोन उपलब्ध हैं ।
  4. नमामि गंगे कार्यक्रम (Namami Gange Programme):
    नदियों के इकोसिस्टम का एक बड़ा हिस्सा हैं मछलियाँ। ‘नमामि गंगे’ के तहत गंगा नदी के मत्स्य-संरक्षण व उत्पादन के लिए कई प्रयास किये गए हैं जिसमें गंगा नदी के आसपास मछली पालन के लिए वित्तीय सहायता दी जाती है। इसका उद्देश्य नदी में जल जीवन और मछलियों की संख्या बढ़ाना है ।
  5. राष्ट्रीय मत्स्य व्यवसाय योजना (NFDB):
    राष्ट्रीय मत्स्य विकास बोर्ड (NFDB) भी मछलीपालन को बढ़ावा देने के लिए ऋण और समूह दुर्घटना बीमा सुविधा प्रदान करता है। यह योजना मछलीपालन में आधुनिक तकनीकों (Modern techniques in fish farming) के उपयोग को बढ़ावा देती है। बोर्ड मछुआरों के लिए प्रशिक्षण कार्यक्रम भी चलाता है ।
  6. बैंकों की लोन स्कीम (Banks loan scheme):

लगभग सभी बड़े राष्ट्रीयकृत और निजी क्षेत्र के बैंक किसानों को विभिन्न प्रकार के लोन सस्ती दरों और आसान शर्तों के साथ उपलब्ध करवाते हैं । इसमें मछलीपालन के लिए भी कर्ज शामिल है । आप इन बैंकों की नजदीकी शाखा जाकर या उनकी वेबसाइट के माध्यम से जानकारियां हासिल कर सकते हैं ।  

  1. को-ऑपरेटिव बैंक ऋण योजना (Co-operative Bank Loan Scheme):
    इस योजना के तहत सहकारी बैंकों और क्षेत्रीय ग्रामीण बैंकों से मछलीपालन के लिए ऋण प्राप्त किया जा सकता है। यह बैंक किसी राष्ट्रीयकृत बैंक के तहत स्थानीय स्तर पर कार्य करते हैं । यह छोटे और मझोले fish farmers के लिए फायदेमंद है।
  2. एफसीआईसी योजना (FCIC Scheme) :
    Fisheries and Coastal Infrastructure Credit योजना मछलीपालन और संबंधित अवसंरचनाओं के लिए विशेष ऋण प्रदान करती है। इस योजना के तहत fish farming में निवेश करने वालों को विशेष दरों पर ऋण मिलता है।
  3. ग्रामीण विकास मंत्रालय की योजनाएं (Schemes of Ministry of Rural Development):
    ग्रामीण विकास मंत्रालय के तहत मछलीपालन के लिए ऋण (loan for fish farming) सहायता प्रदान की जाती है, ताकि ग्रामीण इलाकों में मछलीपालन के कारोबार को बढ़ावा दिया जा सके।
  4. एससी/एसटी के लिए ऋण योजनाएं (Loan Schemes for SC/ST):
    अनुसूचित जाति (SC) और अनुसूचित जनजाति (ST) समुदायों के लिए केंद्र सरकार की विशेष योजनाएं हैं, जो मछलीपालन के लिए सहायता प्रदान करती हैं। इन योजनाओं का उद्देश्य आर्थिक रूप से पिछड़े समुदायों को आगे बढ़ाना है।

Refit Animal Care अपने श्रेष्ठ उत्पादों के साथ मछलीपालकों की सेवा में तत्पर है । Aqua Prime  जलीय जंतुओं मछली और झींगा के लिए एक ऐसा चेलेटेड मिनरल सप्लीमेंट (chelated mineral supplement) है जो उनकी सेहत सुधारते हुए रोग से लड़ने की क्षमता बढ़ाता है और उत्पादन में भी बढ़ोत्तरी करता है । यह खनिज की कमी की भरपाई करते हुए पाचन, पोषक तत्वों के अवशोषण के अलावा मांसपेशियों का विकास सुनिश्चित करता है।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *