बकरी जुगाली करने वाली, खोखले सींग वाली और कई काम आने वाली पशु है, जो गांवों की अर्थव्यवस्था में बड़ा योगदान देती है । बकरीपालन (goat farming) छोटे किसानों के साथ-साथ भूमिहीन मजदूरों की आजीविका का बड़ा स्रोत है । इसका पालन-पोषण और प्रबंधन आसान है । कम जगह की भी कम जरूरत होती है और महिलाएं-बच्चे भी आसानी से देखभाल कर सकते हैं ।
पूरे विश्व में बकरी के दूध (goat milk) का सबसे ज़्यादा उत्पादन हमारे देश में होता है। दुनिया भर में बकरी के दूध का कुल उत्पादन 15.26 मीट्रिक टन है और इसमें भारत का हिस्सा 5.75 मीट्रिक टन है। 2023 में भारत में बकरी के दूध का कुल उत्पादन 7.59 मिलियन टन था जो देश के कुल दूध उत्पादन का 3.3% था । 2022 से उत्पादन में 9.04% की सालाना वृद्धि देखी जा रही है जो अच्छे संकेत हैं । बकरी के दूध की मांग बढ़ने के पीछे इसके औषधीय गुणों के बारे में लोगों में जागरुकता बढ़ना भी है ।
बकरी : एक नजर |
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विश्व में बकरी की आबादी |
1.09 बिलियन |
भारत में बकरी की आबादी |
148.88 मिलियन |
विश्व की कुल बकरियों में भारत का स्थान |
दूसरा |
बकरी दूध उत्पादन में भारत का स्थान |
पहला |
बकरे के मांस उत्पादन में भारत का स्थान |
दूसरा |
आमतौर पर बकरी एक दिन में 1-2 लीटर ही दूध देती है मगर उसके दूध की मांग काफ़ी है । आइये जानते हैं कि बकरियों की दूध उप्तादकता को कैसे बढ़ाया जा सकता है (How to Increase Milk Production in Goats) । किन बातों का ध्यान ध्यान रखा जाए ताकि लंबे समय तक और अधिकतम दूध हासिल किया जा सके ।
दुधारु नस्ल का चुनाव –
नस्ल की अहमियत काफी है । ध्यान रखें कि जिस इलाके में आप बकरीपालन करते है उसी भौगोलिक क्षेत्र की बकरी की नस्ल का चुनाव करें ताकि वह सहज रह सके । वैसे दूध से जुड़े व्यावसायिक बकरीपालन के लिए जमुनापारी, सानेन, मेहसाणा, सिरोही, जलवंडी, सूरती अल्पाइन इत्यादि ज्यादा लोकप्रिय हैं। अगर बकरी की नस्ल (goat breed) को लेकर आप सजग रहे तो समझिये कि आधा काम तो इसी से हो गया ।
प्रजनन प्रक्रिया की निगरानी-
यह डेयरी बकरियों में दूध की उत्पादकता (dairy goat milk production) और गुणवत्ता बढ़ाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती हैं। बकरी के प्रजनन के लिए चयन करते समय उच्च दूध उत्पादन, थन की अच्छी संरचना और रोग प्रतिरोधक क्षमता जैसे लक्षणों का ध्यान रखें। बकरियों के प्रजनन के लिए अच्छी क्वालिटी के बकरे का चुनाव करें और हर बार अलग-अलग बकरे (cross breeding) के साथ प्रजनन कराएं जिससे नस्ल में सुधार होगा जो उच्च दूध पैदावार में योगदान करती है। इसके लिए प्रत्येक बकरी के दूध उत्पादन, स्वास्थ्य इतिहास और वंश का विस्तृत रिकॉर्ड रखें। बकरियों को गाभिन कराने के पहले से उनका वजन ठीक रखें ।
आहार और पोषण से जुड़ी रणनीतियां
डेयरी बकरियों (dairy goats) को अधिकतम पोषण देना दूध उत्पादन को भी अधिकतम करने की कुंजी है। स्वस्थ स्तनपान को बढ़ावा देने के लिए विटामिन, प्रोटीन और खनिजों से भरपूर अच्छा आहार आवश्यक है। पालतू बकरियों के लिए उनकी अलग-अलग आवश्यकताओं के अनुसार आहार योजना तैयार करनी होगी और इसके लिए पशुधन पोषण विशेषज्ञ (Livestock Nutrition Specialist) से परामर्श ली जा सकती है ।
पानी की स्वच्छता और गुणवत्ता
पानी न सिर्फ स्वच्छ हो बल्कि ताजा भी हो क्योंकि इसका सीधा संबंध उत्पादित दूध की ताजगी से होता है । निर्जलीकरण से दूध का उत्पादन कम हो सकता है और यहां तक कि स्वास्थ्य संबंधी समस्याएं भी हो सकती हैं। पूरे दिन स्वच्छ जल स्रोतों तक बकरियों की आसान पहुंच सुनिश्चित करके डेयरी किसान दूध उत्पादन के कई झंझटों से बच सकते हैं । ध्यान रहे कि गर्म मौसम में या स्तनपान के दौरान बकरियों की पानी की आवश्यकता काफी बढ़ सकती है।
स्वास्थ्य का प्रबंधन
दूध की पैदावार को प्रभावित करने वाली बीमारियों को रोकने के लिए नियमित पशु चिकित्सा जांच और टीकाकरण आवश्यक हैं। यदि किसी बकरी में कोई असामान्य लक्षण दिखाई पड़े तो उसकी अनदेखी न करें । बकरियों का स्वास्थ्य उत्तम रहेगा तो उनके दूध की गुणवत्ता (quality of goats milk) भी अच्छी होती जाएगी । अपने फार्म पर जैव सुरक्षा उपायों को लागू करने से बीमारियों को रोकने में मदद मिल सकती है। ध्यान रहे, आंतरिक या बाहरी परजीवी (parasite) भी दूध की पैदावार को 25% या उससे अधिक तक कम कर सकते हैं ।
तनाव पर नियंत्रण जरूरी
जब बकरियों को तनावपूर्ण हालात में रहने के लिए मजबूर किया जाता है तो दूध उत्पादन में कुछ उतार-चढ़ाव आने लगता है । इसलिए उनकी फिटनेस से साथ-साथ भरपूर आराम का ख्याल भी आपको ही करना है । रहने और खिलाने की पर्याप्त जगह के साथ ही सूखा और साफ स्थान आवश्यक है। इसके अलावा, बकरियाँ आदत-उन्मुख प्राणी हैं जो निरंतरता पर पनपती हैं और उनकी दिनचर्या या वातावरण में जरा सा व्यवधान दूध उत्पादन पर असर डाल सकता है । इसलिए जितना संभव हो सके बदलाव कम करें।
दूध दुहने की प्रक्रिया
बकरियों से अधिक दूध हासिल करने के लिए दूध दुहने का एक निश्चित और नियमित कार्यक्रम बहुत ज़रूरी है। जब तक यह नियमित है, दिन में दो बार दूध दुहने के लिए ठीक 12 घंटे का अंतर होना ज़रूरी नहीं है । यह ध्यान रखना जरूरी है कि उनके थन एक निश्चित अंतराल पर खाली हों । दूध दुहने के दौरान हर प्रकार की साफ-सफाई का ध्यान रखना भी जरूरी है । इसके अतिरिक्त, दूध निकालने की प्रक्रिया के दौरान सावधानी बरतना बकरियों को शांत और आरामदायक रखने की जरूरत है।
नई तकनीक का लाभ उठाएं
डेयरी संचालन और अधिकतम दूध उत्पादन में मदद के लिए ऑटोमेटिक फीडिंग सिस्टम से लेकर स्मार्ट मॉनिटरिंग डिवाइस तक उपलब्ध हैं । इसके अतिरिक्त, डेटा एनालिटिक्स में हो रही प्रगति ने किसानों को बकरियों के हेल्थ मेट्रिक्स और दूध उत्पादन रुझानों को अधिक असरदार तरीके से ट्रैक करने में सक्षम बनाया है। इसके अलावा, जीपीएस तकनीक का उपयोग चारागाह रोटेशन शेड्यूल की निगरानी करने में लाभदायक है । इन रणनीतियों का पालन करके और डेयरी बकरी प्रबंधन (dairy goat management) से जुड़े कामों में सुधार के लिए लगातार प्रयास करके आप अधिकतम दूध उत्पादन (maximum goat milk production) प्राप्त कर सकते हैं।
Refit Animal Care के अनेक प्रोडक्ट पशु दूध उत्पादन में आपके मददगार सिद्ध हो सकते हैं । मिसाल के लिए DOODH YODHA, जो डेयरी गायों, भैंस, बकरी, भेड़ इत्यादि की दूध उत्पादन क्षमता को सुधारता और बढ़ाता है । यह दूध में वसा (fat) की मात्रा और एसएनएफ (solids-not-fat) दर बढ़ाता है। इस मिल्क बूस्टर पाउडर में विटामिन, खनिज और लाभकारी जड़ी-बूटियाँ हैं। इसी तरह पशुओं के स्वास्थ्य और दुग्ध उत्पादन से जुड़े हमारे कई उत्पाद पशुपालकों के लिए एक रामबाण की तरह हैं, जिनका उपयोग करके वह अपने व्यवसायिक लाभ में बढ़ोत्तरी कर सकते हैं ।