बर्ड फ्लू – पोल्ट्री वाले कस लें कमर, जानिये, बचाव के टॉप 10 तरीके!

बर्ड फ्लू बचाव तरीके

देश के मुर्गीपालन व्यवसाय पर बर्ड फ्लू का खतरा फिर मंडराता दिख रहा है । सावधानी हटी और दुर्घटना घटी । जरा सी लापरवाही या अनदेखी से पोल्ट्री का व्यवसाय चौपट हो सकता है । इसलिए, अगर आप मुर्गीपालन से जुड़े हुए हैं तो कमर कस लें । बस, कुछ अचूक उपाय अपनाकर इस बीमारी से निपटा जा सकता है । इस Blog में जानिये कि पोल्ट्री में बर्ड फ्लू की एंट्री रोकने के टॉप 10 टिप्स (Top 10 tips to prevent bird flu in poultry farm ) क्या हैं ?

पहले बर्ड फ्लू पर अपडेट :

अभी तक की खबरों के मुताबिक आंध्रप्रदेश, तेलंगाना, छत्तीसगढ़, महाराष्ट्र, बिहार, मध्यप्रदेश में मामले सामने आये हैं । इससे पहले केंद्र सरकार के मत्स्यपालन, पशुपालन एवं डेयरी मंत्रालय ने बर्ड फ्लू (bird flu) को लेकर 9 राज्यों के लिए अलर्ट जारी किया था । सरकार ने इससे निपटने के लिए तीन-स्तरीय रणनीति के तहत सख्त जैव सुरक्षा, वैज्ञानिक निगरानी और जिम्मेदार उद्योग-प्रथाओं (responsible industry practices) का पालन करने का निर्देश दिया है । रोग पर नजर रखने और नियंत्रण को बढ़ाने के लिए पोल्ट्री फार्मों को एक महीने के अंदर राज्य पशुपालन विभाग से पंजीकरण कराना अनिवार्य होगा । दरअसल, भारत में बर्ड फ्लू की पहली पहचान 2006 में हुई थी, और तब से हर साल कई राज्यों में इसके प्रकोप की खबरें आती रहती है.
 

क्या है बर्ड फ्लू और कैसे फैलता है ?

पोल्ट्री में बर्ड फ्लू वायरस (Bird flu virus in poultry) एक से दूसरे पक्षी में आसानी से फैलता है। कुछ मामलों में संक्रमण इंसानों तक भी पहुंच जाता है। यह वायरस H5N1 जैसे विषाणुओं के ज़रिए फैलता है । जंगली और प्रवासी पक्षी अक्सर वायरस को अपने साथ लाते हैं जिससे पालतू मुर्गियां भी चपेट में आ जाती हैं । अगर समय रहते ध्यान न दिया जाए तो यह बीमारी पूरे पोल्ट्री फार्म में फैल जाती है और लेने के देने पड़ जाते हैं।

पोल्ट्री फार्म को बचाने के टॉप 10 उपाय

  • बायो-सिक्योरिटी

इसके लिए जैविक-सुरक्षा (Bio-security) का पालन सबसे महत्वपूर्ण है। जैसे – फार्म में बाहरी या अनजान व्यक्तियों की एंट्री रोक दें । यदि ज़रूरी हो, तो पहले उन्हें सैनिटाइज़ करें और फार्म की ड्रेस या सेफ्टी किट पहनने को कहें। फार्म के चारों ओर बाड़ लगाएं ।

  • हर प्रकार की स्वच्छता

फार्म और उसके आस-पास की जगह को रोजाना के हिसाब से साफ करें। फर्श, उपकरण और पानी के बर्तन को Dis-Infect करें। फार्म में काम करने वाले कर्मचारियों को मास्क, दस्ताने और जूते पहनने चाहिए। मल-मूत्र की रोजाना सफाई करें । ध्यान रखें, जितनी ज्यादा स्वच्छता होगी, खतरा उतना ही कम होगा।

  • शेड की जगह

मुर्गियों के शेड ऊंचाई पर होने चाहिए ताकि बरसात का पानी जमा न हो। शेड के पास कोई गंदा नाला, दलदली इलाका या खुला जल-स्रोत नहीं होना चाहिए। चारों ओर छोटे पेड़-पौधे होने चाहिए ताकि हवा की आवाजाही बनी रहे ।

  • खान-पान और पोषण

स्वच्छता के उच्च-स्तर का पालन करते हुए मुर्गियों को साफ और कीट-मुक्त दाना (Clean and pest-free feed for chickens) व स्वच्छ पानी दें । उसे ढक कर भी रखें। दूषित दाना वायरस फैलाने का बड़ा कारण होता है। पक्षियों को तालाब या खुले पानी से दूर रखें। संतुलित आहार दें, ताकि मुर्गियों की रोग-प्रतिरोधक क्षमता बनी रहे। पानी में मौजूद TDS और C3 CHU लेवल देखकर उसकी क्वालिटी पता की जा सकती है।

  •  नए या बीमार पक्षियों को अलग रखें
नए पक्षियों को पहले 10-14 दिन के लिए बाकी पक्षियों से अलग रखें। बीमार पक्षियों को भी तुरंत अलग (Isolate sick chickens) कर दें । किसी भी लक्षण जैसे – सांस लेने में तकलीफ, गर्दन मरोड़ना, मौत आदि दिखने पर तुरंत अलग करें।

  • जंगल/जंगली पक्षियों से बचके

जंगली पक्षी बर्ड फ्लू वायरस के वाहक (Wild birds are carriers of the bird flu ) हो सकते हैं इसलिए उन्हें आने से रोकने के लिए नेट या कवर लगाएं। कीट और चूहों से बचाव पर भी ध्यान दें जो वायरस फैलाने में सक्षम हैं । हो सके तो मुर्गियों को बत्तख और सुअरों से भी दूर रखें ।

  • कर्मचारियों को ट्रेनिंग

फार्म वर्करों को बर्ड फ्लू के सभी पहलू (All aspects of bird flu) की जानकारी दें । वायरस से बचाव, लक्षण, पहचान और साफ-सफाई के बारे में न सिर्फ बताएं बल्कि उपायों की ट्रेनिंग भी दें।

  • सरकारी हिदायतें मानें

मुर्गियों में किसी भी असामान्य लक्षण के दिखने पर तुरंत स्थानीय पशु चिकित्सा अधिकारी से संपर्क करें। यदि कोई पक्षी संदिग्ध रूप से मरता है, तो तुरंत रिपोर्ट करें।

  • टीकाकरण

समय-समय पर सरकार, स्वयंसेवी संस्थाओं या पशुपालन विभाग द्वारा बताए गए वैक्सीनेशन शेड्यूल को फॉलो करें । मुर्गियों की स्वास्थ्य संबंधी जांच भी करवाते रहें ।

  • मृत पक्षियों का निपटारा

मरे हुए पक्षियों को खुले में न फेंकें, बल्कि गहरे गड्ढे में दफनाएं या वैज्ञानिक विधि से नष्ट करें।  खुले में फेंकना खतरनाक हो सकता है और वायरस दूसरे पक्षियों ही नहीं, इंसानों तक भी पहुंच सकता है ।

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