मध्यप्रदेश में गौ-शालाओं को सरकारी सहायता हुई डबल, गौ-पालकों को बोनस देने की भी तैयारी

गौ-शाला सरकारी सहायता

मध्यप्रदेश की सरकार गौ-पालन को अभूतपूर्व रूप से बढ़ावा दे रही है और राज्य में ऐसी कई योजनाएं लागू की गई हैं जिससे गौ-पालकों को काफी फायदा मिल रहा है । इसी दिशा में प्रदेश की मोहन यादव सरकार ने एक और कदम आगे बढ़ाते हुए अब गौ-शालाओं को मिलने वाली अनुदान राशि डबल कर दी है । आइये, इस Blog में विस्तार से जानते हैं ।

डबल हुआ अनुदान

मध्यप्रदेश में करीब 2200 रजिस्टर्ड गौ-शालाएं हैं जिसमें से एक चौथाई ऐसी हैं जिन्हें स्वयंसेवी सस्थाएं चला रही हैं । सरकारी देखरेख वाली 1563 गौ-शालाएं ‘मुख्यमंत्री गौ-सेवा योजना’ (Mukhyamantri Gau-Sewa Yojana) के तहत संचालित हैं । इस तरह करीब साढ़े तीन लाख गोवंश हैं । खास बात ये है कि सरकार इन्हें अनुदान देती है जो अब प्रति दिन प्रति पशु आहार 40 रुपये कर दिया गया है । ये पहले मात्र 20 रुपये था । इस तरह ये राशि दोगुनी कर दी गई है । इसके लिए वित्त वर्ष 2024-25 में कुल 252 करोड़ रुपए का बजट प्रावधान किया गया है। जनवरी 2025 से अनुदान राशि बढ़ाने से 34 करोड़ 65 लाख रुपए की अलग से व्यवस्था की जा रही है । साथ ही, सरकार ने सख्ती से कहा है कि इस अनुदान राशि का कतई दुरुपयोग नहीं होना चाहिए ।

गौ-विकास पर जोर

प्रदेश सरकार गौ-संरक्षण एवं गौ-संवर्धन (cow protection and cow promotion) के लिए लगातार काम कर रही है । सरकार की कोशिश है कि गौ-वंश की अच्छी तरह देखभाल हो, उनका भरण-पोषण होता रहे और साथ ही साथ गौ-पालन से जुड़े किसानों की आमदनी भी बढ़े । इसके लिए कई योजनाएं चलाई जा रही हैं जिससे गौ-दुग्ध उत्पादन बढ़ाया जा सके और इसका लाभ नागरिकों को मिले । प्रदेश में 187.00 लाख गौ-वंश है इनमें से 90.96 प्रतिशत यानी 170.537 लाख देसी नस्ल के गौ-वंश है । पालतू एवं निराश्रित गौ-वंश की पहचान के लिए उन्हें अलग-अलग रंग के टैग लगाए जाएं, जिससे गौ-वंश की पहचान (identification of cow dynasty) आसान हो सके। गौ-वंश की नस्ल सुधारने (improving the breed of cattle) एवं बछिया उत्पादन के लिए सेक्स सॉर्टेड सीमन (Sex Sorted Semen in Dairy ) का अधिकाधिक उपयोग किया जाए।

गौ-पालन के फायदे

देश में गाय पूजनीय ही नहीं, पशुपालन से जुड़ी अर्थव्यवस्था में भी महत्वपूर्ण योगदान देती है । गाय के दूध से लेकर गोबर और मूत्र तक उपयोगी है । गौ-उत्पादों (cow products) से इतनी कमाई होती है कि किसी भी गौ-पालक (cow herder) को कभी इधर-उधर भटकना नहीं पड़ता । इसलिए कहते हैं कि हम गाय को हम नहीं पालते, गाय हमें पालती है। पंचगव्य (Panchagavya) का निर्माण गाय के दूध, दही, घी, मूत्र, गोबर के द्वारा किया जाता है। दूध के फायदे (Benefits of cow’s milk) तो लाजवाब हैं ।

गाय के दूध के फायदे
  • गाय का दूध धरती पर अमृत के समान माना जाता है । आसानी से पच भी जाता है।
  • शरीर को तंदुरुस्त रखने में भी अव्वल है और इससे कई घातक बीमारियां दूर रहती हैं।
  • नवजात शिशुओं के साथ ही सभी बच्चों के दिमागी विकास के लिए लाभदायक है।
  • दूध मीठा होने की वजह से यह पित्त और गैस की समस्या को भी दूर करता है।
  • मूत्राशय से जुड़े विकार में गुड़ मिलाकर पिया जाता है, टीबी के मरीजो के लिए भी फायदेमंद है।
  • गाय के दूध में पाया जाने वाला पीला पदार्थ कैरोटीन होता है जो आंखों की रौशनी को बढ़ाता है।
  • गाय के कच्चे दूध से चेहरे पर मसाज करने से त्वचा गोरी और चमकदार होती है ।
गौ-पालकों को बोनस देने की तैयारी

ये तो मात्र झलकी है जबकि गाय के दूध, घी, गोबर और मूत्र के फायदे बेहिसाब हैं । इसलिए मध्यप्रदेश सरकार अब दुग्ध उत्पादकों (cow milk producers) को बोनस देने की शुरुआत करने जा रही है और जल्द ही इस दिशा में कोई ऐलान हो सकता है । सरकार चाहती है कि लोगों को घरों में गाय पालने (rearing cows at home) के लिए प्रोत्साहित भी किया जाए । गौ-शालाओं (cow shelters) को अत्याधुनिक सुविधाओं से लैस किया जाए और इनके संचालन में समाज का पूरा लिया जाए । सरकार ने गो-चर भूमि से अवैध कब्जे हटाने और गौ-दुग्ध के विपणन और वितरण (Marketing and distribution of cow milk) का नेटवर्क विकसित करने के भी निर्देश दिये हैं ।

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