ऊंट पालन से ऐसे करें बंपर कमाई, यहां जानिये मुनाफे के 3 बेजोड़ फॉर्मूले !

ऊंट पालन

रेगिस्तान का जहाज कहलाने वाले ऊंट, पशुपालको के लिए फायदे का सौदा रहे हैं । ऊंटनी का दूध (camel milk) औषधीय गुणों से भरपूर होता है और कई गंभीर बीमारियों में रामबाण की तरह काम करता है । यही वजह है कि ऊंटनी के दूध की कीमत (camel milk price) होती है 250 से 300 रुपये प्रति लीटर । एक सामान्य ऊंटनी एक दिन में दो-ढाई से लेकर 5 लीटर तक दूध देती है । अब ऐसे में आप मुनाफे का अंदाजा आसानी से लगा सकते हैं । इसके अलावा कुछ ऐसी योजनाएं भी हैं जिनका लाभ उठाकर किसान ऊंट पालन से दोहरा-तिहरा लाभ उठा सकता है । आखिर क्या है ऊंट पालन से तगड़ी कमाई के 3 फॉर्मूले (3 formulas for earning from camel rearing), आइये इस Blog में जानते हैं ।

1. पहले, केंद्र सरकार की सब्सिडी:

केंद्र सरकार केंद्र सरकार ने ‘राष्ट्रीय पशुधन मिशन योजना’ के तहत ऊंट फार्म की शुरुआत के लिए 50 फीसदी तक की बंपर सब्सिडी (50% subsidy for camel farm) की घोषणा कर रखी है । अर्थात अगर किसान ऊंटपालन (camel husbandry) के लिए 2 लाख रुपये लगाता है तो आधी रकम यानी 1 लाख रुपये की मदद तो सरकार ही कर देगी ।  

2. फिर, राजस्थान सरकार की योजना:

राजस्थान में ऊंट पालन पारंपरिक व्यवसाय है क्योंकि यहां इनकी तादाद ज्यादा है । चूंकि हाल ही में ऊंटों की संख्या में गिरावट (Decline in camel population) दर्ज की गई इसलिए राज्य सरकार यहां ऊंट पालकों को कई तरीके से प्रोत्साहित (Promotion to camel herders) करने में जुट गई है । यहां ‘उष्ट्र संरक्षण योजना (camel conservation scheme) लागू है जिसका मकसद ऊंटों की घटती संख्या को रोकने के उपाय करना है । इसी कड़ी में प्रदेश सरकार ऊंटनी के प्रसव पर सहायता (Financial assistance on delivery of camel) राशि भी उपलब्ध करवाती है जो एक बड़ी मदद है ।


आर्थिक सहायता:

ऊंटनी के प्रसव पर ऊंटपालकों को 20,000 रुपये की सहायता राशि प्रदान की जाती है। यह राशि दो किश्तों में दी जाती है । पहली किश्त टोडिये (ऊंट का बच्चा) के जन्म के बाद और दूसरी किश्त उसके एक वर्ष के होने पर । पहले, यह राशि सिर्फ 10,000 रुपये थी


रजिस्ट्रेशन
और टैगिंग:

योजना का लाभ उठाने के लिए ऊंटनी और टोडिये का पंजीकरण और उनकी टैगिंग करना अनिवार्य है। पंजीकरण के लिए ऊंटपालक को नजदीकी पशु चिकित्सालय या ई-मित्र केंद्र पर आवेदन करना होता है।

बाकी कोशिशें:

राजस्थान में ऊंटों के लिए रोग निदान शिविरों का आयोजन, ऊंट बाहुल्य क्षेत्रों में प्रतियोगिताएं, ऊंट उत्पादों की बिक्री को बढ़ावा, पर्यटन से जोड़ना, और ऊंटों के लिए  पुनर्वास केंद्र की स्थापना जैसे काम भी शामिल हैं। ऊंट के दूध की ब्रांडिंग और मार्केटिंग के लिए सरकारी डेयरी RCDF की स्थापना की गई है। यही नहीं, उन्हें अन्य राज्यों में बेचने पर रोक भी है ।

ऐसे करें आवेदन ?

योजना का लाभ केवल राजस्थान के मूल निवासी को मिलता है। ध्यान रहे, ऊंटनी के प्रसव के दो महीने के भीतर पंजीकरण कराना जरूरी है। इसके लिए आधार कार्ड, जनआधार कार्ड, बैंक खाता विवरण के साथ ही ऊंटनी और टोडिये (बच्चे) की टैगिंग सहित फोटोग्राफ की आवश्यकता होती है। आवेदन पशुपालन विभाग के पोर्टल
https://animalhusbandry.rajasthan.gov.in/
या नजदीकी ई-मित्र केंद्र के माध्यम से किया जा सकता है।

अब समझें, बंपर मुनाफे का फॉर्मूला !

दरअसल, एक ऊंटनी दिन में दो-ढाई लीटर से 5 लीटर तक दूध देती है और दूध की कीमत (camel milk price) होती है 250 से 300 रुपये प्रति लीटर । अब अगर औसतन 3 लीटर और 250 रुपये प्रति लीटर का भी हिसाब लगाएं तो एक दिन में हो गए 750 रुपये । महीने के 22,500 रुपये और साल के 2,70,000 रुपये । ये गणित सिर्फ एक ऊंटनी का है । अगर आपके पास 5 ऊंटनियां हैं तो लगभग 13 50 000 रुपये पूरे साल में आसानी से कमाये जा सकते हैं । अब अगर ऊंटनी ज्यादा दूध दे यानी 4-5 लीटर प्रतिदिन, तो कमाई भी उसी हिसाब से बढ़ जाएगी । वैसे, कई ऊंटपालक ऐसा बताते भी हैं कि उनकी ऊंटनी 5 लीटर दूध रोज देती है ।

ये तो था सिर्फ ऊंटनी दूध से कमाई (Earning from camel milk) का हिसाब । जबकि ऊंटों का प्रयोग माल ढुलाई वगैरह में भी खूब किया ऊजाता है । इससे होने वाली आमदनी अलग से जुड़ेगी । इसके अलावा ऊंट के बाल और चमड़े से भी कमाई (Earning from camel hair and leather) की जा सकती है । इस तरह किसानों के लिए ऊंटपालन ऐसा व्यवसाय है जिसे अगर सूझबूझ, मेहनत और धैर्यपूर्वक चलाया जाये तो किसी अन्य पशु से ज्यादा फायदा मिलना तय है । ऐसा भी नहीं है कि सिर्फ राजस्थान में ही ऊंटों का बोलबाला है, कई राज्यों विशेषकर गुजरात में भी काफी ऊंट हैं और वहां भी राज्य सरकार इसी तरह ऊंटपालन को बढ़ावा (promotion of camel rearing) दे रही हैं ।

एक ऊंटपालक के रूप में अगर आप चाहते हैं ऊंटनी का दूध पर्याप्त मात्रा में मिले तो इसके लिए Refit Animal Care का DOODH GAIN सर्वोत्तम विकल्प है । ये गर्भवती मवेशियों के लिए बिल्कुल सुरक्षित है । जैसा कि नाम से जाहिर है, ये दूध में वसा और एसएनएफ की मात्रा बढ़ाता है जिससे ग्राहक और पशुपालक, दोनों को फायदा होता है ।

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