सजावटी मछली पालन में मौके हैं हजार, सरकारी सब्सिडी और ऐप भी मदद को तैयार !

सजावटी मछली पालन

सजावटी मछलियाँ पालना फोटोग्राफी के बाद दुनिया भर में दूसरा सबसे लोकप्रिय शौक है। भारत में सजावटी मछली के लगभग 90% व्यापार में मीठे पानी की प्रजातियाँ (freshwater fish species) शामिल हैं, जबकि शेष 10% में समुद्री प्रजातियाँ (marine fish species) शामिल हैं। केंद्र सरकार का जोर अब इसे और बढ़ावा देने पर है । हाल ही में पूर्वोत्तर के राज्यों के लिए प्रधानमंत्री मत्स्य संपदा योजना (Pradhan Mantri Matsya Sampada Yojana) के तहत कई ऐसी योजनाएं शुरू की गई हैं जिससे न सिर्फ रोजगार और राजस्व बढ़ेगा बल्कि आम किसान और बेरोजगार भी मछली पालन में दिलचस्पी लेगा । इसके अंतर्गत त्रिपुरा, असम, मेघालय, नागालैंड और सिक्किम में Integrated Aqua Park, Fish hatchery और Recirculatory Aquaculture System (RAS) की स्थापना करना शामिल है । इसी का हिस्सा है रंगीन या सजावटी मछलीपालन यूनिट (ornamental fish unit) बनाना जिसे कोई भी आसानी से शुरू कर सकता है ।

सजावटी मछलीपालन क्या है ?

रंगीन मछलियों को गुडलक साइन माना जाता है । घर, ऑफिस, होटल वगैरह में सजावटी मछली रखने के शौकीनों की संख्या दिन-ब-दिन बढ़ती जा रही है । ऐसे एक्वेरियम रखने वालों की तादाद भी अगल दशक में 5 फीसदी बढ़ने की संभावना है । सजावटी मछलीपालन उद्योग (ornamental fish farming industry) अभी छोटा जरूर है लेकिन उम्मीदों से भरपूर है क्योंकि इससे कम समय में और कम लागत के साथ अधिक मुनाफा कमाया जा सकता है । मिसाल के लिए भारत के उत्तर-पूर्वी राज्यों में कई स्वदेशी सजावटी मछली की प्रजातियाँ हैं जिनकी Aquarium  के मालिकों के बीच काफी मांग है, लेकिन इन प्रजातियों का उत्पादन अभी भी ज्यादा रफ्तार नहीं पकड़ सका है जिससे मांग और आपूर्ति का गैप बना हुआ है । उत्तर-पूर्व में लगभग 5,000 किसान सजावटी मछली उत्पादन (ornamental fish production) में लगे हुए हैं और लगभग 90% देशी प्रजातियों में 85% अकेले पूर्वोत्तर भारत से हैं । लेकिन अगर उत्पादन, वितरण और विपणन को संगठित रूप दिया जाए तो यह संख्या और बढ़ सकती है।

सजावटी मछलीपालन कैसे करें ?

इस व्यवसाय की सफलता उचित प्रंबधन, प्रजनन की जानकारी और मछलियों की मृत्युदर रोकने (prevent fish mortality) की क्षमता पर निर्भर करती है । शुरुआत किसी भी लेवल से की जा सकती है । छोटी यूनिट के लिए शेड, मछलियों के फीड और जरूरी सामान के लिए करीब 50-60 हजार रुपये का निवेश होता है । सामान्य इकाई की स्थापना के लिए थोड़ी ज्यादा जगह जैसे घर का बैकयार्ड या तालाब की जरूरत होती है । बड़ी यूनिट की कोई सीमा नहीं है जिसमें लाखों रुपये का निवेश हो सकता है ।

सरकारी कितना दे रही प्रोत्साहन ?

सजावटी मछलीपालन या अलंकारिक मत्स्यिकी (ornamental fish farming) को प्रोत्साहित करने के लिए प्रधानमंत्री मत्स्य सम्पदा योजना के तहत सब्सिडी (Subsidy under PMMSY) पहले से दी जा रही है । अच्छी बात यह है कि महिलाओं के लिए 60 फीसदी और पुरुषों के लिए 40 फीसदी तक की सब्सिडी सरकार देती है । इसमें अपनी परियोजना के पूरे ब्यौरे और जरूरी दस्तावेजों के साथ आवेदन करना होता है । इस तरह निवेश की समस्या भी काफी हद तक हल हो जाती है । सरकार चार स्तरों पर मदद कर रही है ।

  • घर पर सजावटी मछली पालन इकाई (समुद्री और मीठे पानी ) जिसकी इकाई लागत 3.0 लाख रुपये है ।
  • मध्यम स्तर की सजावटी मछली पालन इकाई (समुद्री और मीठे पानी ) जिसकी इकाई लागत 8.0 लाख रुपये है ।
  • एकीकृत सजावटी मछली इकाई (मीठे पानी की मछलियों की ब्रीडिंग और पालन) जिसकी इकाई लागत 25.0 लाख रुपये है ।
  • एकीकृत सजावटी मछली इकाई (समुद्री मछली की ब्रीडिंग और पालन) जिसकी इकाई लागत 30.0 लाख रुपये है।
सजावटी मछली ऐप क्या है ?

‘रंगीन मछली’ ऐप (Rangeen Machhali App) भारत के सजावटी मत्स्य पालन समुदाय के लिए डिज़ाइन किया गया एक ऑल-इन-वन प्लेटफ़ॉर्म है। चाहे आप शौकीन हों, एक्वेरियम दुकान (aquarium shop) के मालिक हों, मछली किसान हों या उद्यमी हों, यह ऐप आपकी ज़रूरतों को पूरा करने के लिए रेडी है। इसे भी पीएमएमएसवाई के सहयोग से आईसीएआर-सीआईएफए ने विकसित किया है। यहां आप 8 भाषाओं में जानकारी पा सकते हैं जिसमें आपके आसपास के एक्वेरियम स्टोर की जानकारी तक शामिल है । आप भी इसे गूगल प्ले स्टोर से डाउनलोड करके इस पर अपना एकाउंट बना सकते हैं । इससे आपको घर बैठे सजावटी मछलीपालन से जुड़ी हर जानकारी मिलती रहेगी ।

REFIT ANIMAL CARE का OXYFORTE एक्वाकल्चर के लिए एक सर्वश्रेष्ठ ऑक्सीजन रिलीजिंग टैबलेट है जो लंबे समय तक ऑक्सीजन का संतुलन बनाये रखता है । इससे जलीय जीवों के जीवित रहने की दर में सुधार होता है । साथ ही यह नाइट्राइट और हाइड्रोजन सल्फाइड जैसी जहरीली गैसों का दुष्प्रभाव खत्म करता है जिसकी वजह से मछलियां तनाव रहित हो जाती हैं और उच्चतम उत्पादन क्षमता को प्राप्त करती हैं ।

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