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दूध गंगा योजना में डेयरी फॉर्मिंग के लिए मिलेंगे 30 लाख रुपये, मामूली ब्याज दर और सब्सिडी का लें फायदा

दूध गंगा योजना

डेयरी फार्मिंग अर्थात दुधारू गायों की देखभाल करना और उनके दूध की बिक्री करना । हमारे देश में यह एक लाभदायक और अपेक्षाकृत आसान व्यवसाय है। इसमें बहुत कम पूंजी की आवश्यकता होती है और अगर बेहतर प्रबंधन किया जाए तो काफी मुनाफा कमाया जा सकता है । 

यूं तो राष्ट्रीय स्तर पर प्रादेशिक स्तर पर पशुपालकों अथवा दुग्ध उत्पादकों के लिए कई योजनाएं हैं लेकिन इसी कड़ी में हिमाचल प्रदेश सरकार की दूध गंगा योजना (doodh ganga yojana 2024) एक अनूठी योजना है, जो 2010 से संचालित हो रही है । इस योजना से जुड़े हर पहलू की जानकारी के लिए यह Blog अंत तक पढ़ें और पूरा लाभ उठाएं ।   

क्या है दूध गंगा योजना का मकसद ?

इस योजना को मुख्य उद्देश्य हिमाचल प्रदेश में डेयरी फार्मिंग (dairy farming) से जुड़े छोटे-छोटे उद्योगों को एक बड़े, संगठित और विकसित उद्योग की शक्ल देना है। उन्हें पारंपरिक और कठिन तकनीकों से बाहर निकालकर आधुनिक तौर-तरीकों से जोड़ना है । इसके तहत दूध आधारित अर्थव्यवस्था का एक नया मॉडल विकसित करने का लक्ष्य है ।  

साल 2010 में इस योजना को भारत सरकार के पशुपालन विभाग की ओर से डेयरी उद्यम पूंजी योजना के रूप में NABARD (National Bank for Agriculture and Rural Development) के माध्यम से शुरू किया गया था । पहले इसका नाम दूध गंगा परियोजना (डेरी वेंचर कैपिटल फंड) था जिसमें बिना ब्याज वाला कर्ज दिया जाता था । आगे चलकर इसके स्वरूप में परिवर्तन करते हुए नाम बदलकर दूध गंगा योजना (एंटरप्रेन्योरशिप डेवलपमेंट स्कीम) कर दिया गया और ब्याज-मुक्त लोन देने की बजाय ऋण राशि पर सब्सिडी (subsidy) दी जाने लगी ।   

क्या है योजना की खूबियां ? 

  • 30 लाख रुपए तक का लोन उचित ब्याज दर पर प्रदान किया जाता है । ऋण राशि पर सब्सिडी भी दी जाती है। 
  • स्वयं सहायता समूह को 10 पशुओं का फार्म स्थापित करने के लिए  3 लाख रुपये तक का लोन दिया जाता है, जिस पर ब्याज दर में 50 फीसद की छूट शामिल है । 
  • 2 से 10 दुधारू पशुओं के लिए पशुपालक किसानों को पांच लाख रुपये तक का ऋण दिया जाता है। जबकि 5 से 20 बछड़ा पालन के लिए 4.80 लाख रुपए तक का लोन मिलता है ।
  • दूध दुहने की मशीन, मिल्कोटैस्टर,  बड़े दूध कूलर यूनिट के लिए 18 लाख रुपए का ऋण दिया जाता है। दूध से देसी उत्पाद बनाने के लिए 12 लाख रुपए का लोन मिलता है । 
  • दूध उत्पादों की ढुलाई और कोल्ड चैन सुविधा हेतु 24 लाख रुपए तक ऋण पशुपालकों को दिया जाता है
  • दूध व दूध उत्पादों के शीत भंडारण अर्थात कोल्ड स्टोरेज के लिए 30 लाख रुपए तक लोन पशुपालक प्राप्त कर सकते है।
  • पशु चिकित्सा इकाइयों के तहत मोबाइल इकाई के लिए 2.40 लाख रुपए और स्थायी इकाई के लिए 1.80 लाख रुपए तक ऋण मिलता है
  • इसी तरह दूध उत्पाद बेचने हेतु बूथ निर्माण के लिए 0.56 लाख रुपए तक ऋण पशुपालक को उपलब्ध करवाया जाता है।

सब्सिडी की सुविधा कितनी है ? 

ऋण की राशि पर  सरकार द्वारा सब्सिडी (subsidy) उपलब्ध करवाई जाती हैं । इसकी राशि लिये गए ऋण पर आधारित होती हैं । ST/SC वर्ग के लाभार्थियों को 33 प्रतिशत और सामान्य वर्ग के लाभार्थियों को 25 प्रतिशत सब्सिडी दी जाती है। इसके अलावा देशी गाय या भैंस खरीदने पर 20 प्रतिशत और जर्सी गाय की खरीद पर 10 प्रतिशत तक सब्सिडी  दी जाती है।

क्या है आवेदन हेतु पात्रता ?
  • दुग्ध उत्पादन से जुड़े आवेदक को हिमाचल प्रदेश का स्थायी निवासी होना अनिवार्य है।
  • व्यक्ति विशेष / स्वयं सहायता समूह / NGO / दुग्ध संगठन / दुग्ध सहकारी सभाएं / कंपनियां भी पात्र हैं । 
  • एक परिवार के एक से अधिक सदस्य अलग-अलग इकाइयां स्थापित करने के पात्र हैं, बशर्ते एक-दूसरे से इनकी दूरी कम से कम 500 मीटर होनी चाहिए।
किससे करें संपर्क ?

हिमाचल प्रदेश सरकार के पशुपालन विभाग की आधिकारिक वेबसाइट https://hpahdbt.hp.gov.in/ अथवा पोर्टल http://hpagrisnet.gov.in पर जाकर दूध गंगा योजना (doodh ganga yojana 2024) के बारे में पूरी जानकारी ले सकते हैं । आप हिमाचल प्रदेश के किसी भी जिले में मौजूद पशुपालन विभाग के स्थानीय कार्यालय जाकर भी जानकारी जुटा सकते हैं । 

Refit Animal Care का प्रोडक्ट RIGMIN-FORTE गाय, भैंस, बकरी और अन्य दुधारू पशुधन के लिए एक लाभकारी खनिज मिश्रण (Mineral Mixture For Cattle) है, जिसे चारे के साथ देने पर पशुओं को सभी आवश्यक खनिज और विटामिन मिल जाते हैं । नतीजा, पशु सेहतमंद बने रहते हैं और उनकी रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ती रहती है । इतना ही नहीं दूध की मात्रा बढ़ती है और प्रजनन (reproduction) से जुड़ी समस्याएं नहीं आतीं । बांझपन और बार-बार गर्भ गिरने की समस्या भी खत्म होने लगती है।  इसके प्रयोग से पहले पशु चिकित्सक से आवश्यक सलाह-मशवरे की सिफारिश की जाती है।

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