गर्मी में कैसा होना चाहिए दुधारू पशु का भोजन, जानिये और टालिये बड़ा नुकसान !

दुधारू पशु का भोजन

देश के कई राज्यों में भीषण गर्मी का दौर शुरू हो चुका है। इस मौसम में पशुओं को लू (hot wind) लगने का खतरा बना रहता है । ऐसे में दूध देने वाले मवेशियों (milking cattle) को गर्मी और हीट स्ट्रोक से बचाना एक चुनौतीपूर्ण काम होता है । लू की चपेट में आने से पशु की दूध देने की क्षमता (milk yielding capacity of the animal) कम हो जाती है जिससे किसानों को आर्थिक नुकसान उठाना पड़ता है। गर्मी के मौसम में दुधारु पशुओं के आहार (Feeding of dairy animals in summer season) पर विशेष ध्यान देना पड़ता है, क्योंकि इस समय में उनका शरीर पानी की कमी और अधिक गर्मी के कारण थकावट महसूस कर सकता है। आइये जानते हैं कि गर्मी में दुधारु पशुओं का भोजन कैसा होना चाहिए (What should be the diet of dairy animals in summer) , ताकि वो गर्मी की आफत से बचे रहें ।

हरा चारा ज्यादा दें:

गर्मी में पशुओं को सूखे दाना की मात्रा कम और हरे चारे की मात्रा अधिक खिलाएं क्योंकि यह शरीर को ठंडक देता है और पानी की मात्रा भी पूरी करता है। जैसे – नेपियर घास, ज्वार, बाजरा, बरसीम (अगर उपलब्ध हो), गिनी घास आदि। हरा चारा 40-50% तक भोजन में अवश्य शामिल करें। यदि हरे चारे की उपलब्धता कम हो तो पशुओं को अलग से विटामिन देना चाहिए।

खनिज मिश्रण और नमक दें:

गर्मी में पसीने के जरिए जरूरी मिनरल्स शरीर से निकल जाते हैं। खनिज मिश्रण (Mineral mixture) और सामान्य नमक जरूर दें ताकि इलेक्ट्रोलाइट बैलेंस बना रहे। गर्मी के दिनों में पशुओं को नमक की जरूरत अधिक होती है, ऐसे में प्रत्येक पशु को 25 से 30 ग्राम नमक जरूर खिलाना चाहिए।

पीने का पर्याप्त पानी:

स्वच्छ और ठंडा पानी हर समय उपलब्ध होना चाहिए। एक दुधारू पशु (dairy cattle) को गर्मी में 50–60 लीटर तक पानी की जरूरत हो सकती है जो सामान्य दिनों तुलना में करीब दोगुनी अधिक मात्रा होती है। 

सूखे-हरे चारे का संतुलन रखें:

सूखे चारे (भूसा) और हरे चारे का संतुलन बना कर रखें । सूखे चारे में थोड़ा पानी छिड़ककर दें ताकि उसका पाचन आसान हो। भूसे के साथ 1-2% तेल या मोलासिस मिलाकर दें, इससे ऊर्जा भी मिलती है। पशुओं को आहार दिन में तीन से चार बार दिया जाना चाहिए।

दाना (कंसन्ट्रेट फीड) :

पशुओं को गर्मी में ऊर्जा की जरूरत अधिक होती है लेकिन पाचन पर जोर न पड़े, इसलिए संतुलित मात्रा में ही दाना दें। फीड में विटामिन A, D और E शामिल करें, जो गर्मी से होने वाले नुकसान से बचाते हैं।

दोपहर में भारी दाना न दें:

चारा सुबह जल्दी और शाम को वातावरण में थोड़ी ठंडक आने के बाद दें ताकि गर्मी से उत्पन्न पाचन समस्या रुकावट न बने।

सुबह-शाम ही चरायें:

इसके अतिरिक्त पशु को चराने के लिए सुबह व शाम को ही ले जाना चाहिए। तेज धूप में बाहर निकालने से बचें क्योंकि इस दौरान चरने से समस्या हो सकती है।

दिन में दो बार नहलाएं:

पशु को प्रतिदिन सुबह-शाम दोनों समय नहलाना चाहिए। संभव न हो तो एक बार जरूर नहलाएं । यदि आपके घर के पास कोई तालाब है तो पशु को एक दो घंटे के लिए उसमें छोड़ देना चाहिए। इस तरह पशु के शरीर में ठडक बनाये रखना जरूरी है।

सामग्रीमात्राउद्देश्य
चारा (हरा चारा)40-50% (आहार का हिस्सा)पानी की कमी को पूरा करना और पोषण
सूखा चारा15-20% (आहार का हिस्सा)ऊर्जा, प्रोटीन और फाइबर का स्रोत
अनाज (दाना)2-3 किलोऊर्जा और प्रोटीन का अच्छा स्रोत
चुंथा (कसावा)1-2 किलोऊर्जा और फाइबर का स्रोत
खनिज मिश्रण50-100 ग्राम प्रति दिनकैल्शियम, फास्फोरस, मैग्नीशियम इत्यादि
पीने का पानी8-10 लीटर (प्रति 100 किलो वजन)हाइड्रेशन बनाए रखना, शरीर की गर्मी नियंत्रित करना
विटामिन E & Cआवश्यकता अनुसारतनाव कम करना, प्रतिरक्षा को बढ़ाना

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