लंगड़ा बुखार जैसी जानलेवा बीमारी से पशुओं का बचाव

लंगड़ा बुखार जैसी जानलेवा बीमारी से पशुओं का बचाव

पशुओ में लंगड़ा बुखार (Black Quarter या BQ) साधारण भाषा में लंगड़िआ, एकटंगा, कला पैर, काली बीमारी, जहरबाद, ब्लैक क्वार्टर, आदि नामो से भी जाना जाता है | यह रोग गाय, भैंस, और  बकरियों को प्रभावित करने वाला एक तीव्र, अति संक्रामक और अक्सर घातक रोग है।

पशुओं में होने वाले लंगड़ा बुखार रोग के कारण

  • यह रोग Clostridium chauvoei नमक जीवाणु (bacteria) के संक्रमण से होता है |
  • यह जीवाणु मिट्टी में वर्षों तक निष्क्रिय रहने वाले बीजाणु बनाते हैं जो चारागाहों को दूषित करते हैं और घाव, निगलने या कीट के काटने से पशु के शरीर में प्रवेश करते हैं।
  • युवा मवेशी (6 महीने से 2 साल) सबसे अधिक संवेदनशील होते हैं, विशेष रूप से जो:
  • गंदगी में पाले गए हो
  • जिनको नियमित रूप से टीका नहीं लगाया गया हो
  • दूषित चरा खाना
  • टीकाकरण से पर्याप्त प्रतिरक्षा का आभाव

पशुओं में होने वाले लंगड़ा बुखार रोग के लक्षण

  • अचानक से तेज बुखार (107°F-108°F) आना, भूख न लगना, और लंगड़ापन।
  • भारी मासपेशिओ वाली जगह जैसे कमर, नितंब, कंधों, छाती या गर्दन में तेजी से गर्म, दर्दनाक सूजन आना ।
  • सूजन वाले स्थानों में गैस संचय के कारण उस पर दबाने पर कड-कड की आवाज़ आती है |
  • कमजोरी या सुस्ती आना, तेज सांस लेना और दस्त।
  • इलाज न किए जाने पर सूजन ठंड और दर्द रहित हो जाती है, त्वचा काली और विकृत हो जाती है और 24-48 घंटों के भीतर मौत हो सकती है।

पशुओं में होने वाले लंगड़ा बुखार रोग का रोकथाम

  • प्राथमिक और सबसे प्रभावी उपाय टीकाकरण है ।
  • निम्नलिखित टीकाकरण कार्यक्रम का पालन करें
    • 2-3 महीने की उम्र में पहला टीकाकरण।
    • उसके बाद सालाना बूस्टर टीकाकरण (आमतौर पर चराई के मौसम से पहले)
    • वर्षा ऋतु शुरू होने से पहले (मई-जून महीने में) टीकाकरण करवाए
  • भारत में सरकारी पशु चिकित्सा विभागों और निजी पशु चिकित्सालयों से काला बासना के टीके आसानी से उपलब्ध हैं।
  • मिट्टी के दूषित होने से बचाने के लिए अत्यधिक चराई से बचें।
  • उचित स्वच्छता बनाए रखें: पशुओं के रहने की और चारा चर ने की जगह में स्वच्छता रखें ।
  • संभावित संदूषण स्रोतों (पशु शव, खाद) को पशु के चारे के संपर्क में न आने दें ।
  • मवेशियों पर इस्तेमाल किए जाने वाले उपकरणों को कीटाणुरहित करें।
  • घाव की देखभाल: संक्रमण के जोखिम को कम करने के लिए मवेशियों पर किसी भी घाव को ठीक से साफ करें और कीटाणुरहित करें।
  • नियमित रूप से मवेशियों को बीमारी के लक्षणों के लिए देखें और अगर कोई चिंता हो तो तुरंत पशु चिकित्सक से परामर्श करें।

Disclaimer

यह लेख केवल सामान्य जानकारी के लिए है | इसे पशु चिकित्सा सलाह के रूप में नहीं समझा जाना चाहिए। अपने मवेशियों के स्वास्थ्य और कल्याण के बारे में किसी भी प्रश्न या चिंता के लिए हमेशा एक योग्य पशु चिकित्सक से परामर्श लें। लेख में दिए गए उपाय और निदान किसी विशिष्ट पशु या परिस्थिति पर लागू नहीं हो सकते हैं | हम इस लेख में दी गई जानकारी की सटीकता और पूर्णता को बनाए रखने का हर संभव प्रयास किया हैं, लेकिन Refit Animal Care किसी भी त्रुटि, चूक या गलत व्याख्या के लिए कोई दायित्व नहीं लेता हैं। इस लेख का उपयोग करके आप इस disclaimer की शर्तों को स्वीकार करते हैं।

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