भारत दूध उत्पादन में दुनिया में नंबर वन पर है लेकिन इस स्थिति को बनाये रखना एक बड़ी चुनौती है । इसीलिए सहकारिता के माध्यम से दूध उत्पादकों की आमदनी को बढ़ाने के लिए सरकार ने एक नई पहल की है । नये बने सहकारिता मंत्रालय ने ‘श्वेत क्रांति 2.0’ (White Revolution-2.0) की शुरुआत की है जिससे डेयरी सेक्टर में आमूलचूल बदलाव आएगा । क्या है सरकार की योजना, कैसे बदलेगा डेयरी उद्योग, कैसे बढ़ेगी दुग्ध उत्पादकों की आय और ग्रामीण अर्थव्यवस्था कैसे होगी मजबूत ? इस Blog में आपको पूरी और सटीक जानकारी मिलेगी ।
क्या है श्वेत क्रांति ?
सबसे पहले जानते हैं कि ‘श्वेत क्रांति’ कहते किसे हैं । दरअसल, पहले दूध उत्पादन में हम काफी पीछे थे । वर्ष 1951-52 में देश में सिर्फ 17 मिलियन टन दुग्ध का उत्पादन होता था। इसी बीच हरित क्रांति की सफलता को देखते हुए 1970 में सरकार ने दूध उत्पादन के लिए ‘ऑपरेशन फ्लड’ (operation flood) नामक एक अभियान शुरू किया । देखते ही देखते डेयरी क्षेत्र (dairy sector) में क्रांति सी आ गई और भारत दुनिया का सबसे बड़ा दूध उत्पादक है । वर्ष 2022-23 में यह 231 मिलियन टन तक पहुँच चुका है ।
इस अभियान की शुरुआत तीन मुख्य उद्देश्यों से की गई थी- दूध का उत्पादन (doodh utpadan) बढ़ाना, ग्रामीण आबादी की आय बढ़ाना और उपभोक्ताओं को उचित मूल्य पर दूध उपलब्ध कराना। इस अभियान ने दूध उत्पादकों और विक्रेताओं को देश भर के लगभग 700 कस्बों और शहरों के उपभोक्ताओं से जोड़ दिया था। इससे दुधारू पशुओं (dudharu pashu) की मांग बढ़ी और डेयरी उद्योग में आधुनिक तकनीक का इस्तेमाल होने लगा । भारत में ‘श्वेत क्रांति’ के जनक अमूल के संस्थापक डॉ. वर्गीस कुरियन थे ।
श्वेत क्रांति 2.0 क्या है ?
पहले के अभियान के अनुरूप अब सरकार ने इसमें कुछ और फीचर्स जोड़े हैं । दिल्ली में एक सम्मेलन में सहकारिता मंत्री अमित शाह ने ‘श्वेत क्रांति 2.0’ के उद्देश्य को सिलसिलेवार तरीके से रेखांकित किया । उनके मुताबिक दूध उत्पादन तो बढ़ेगा ही, पूरी ग्रामीण अर्थव्यवस्था का भी कायाकल्प होगा क्योंकि सहकारिता क्षेत्र (cooperative sector) और मजबूती से उभर सकेगा । इसके तहत अगले पांच वर्षों में डेयरी सहकारी समितियों द्वारा दूध की खरीद में अगले 5 साल में 50 प्रतिशत की बढ़ोत्तरी का लक्ष्य है।
श्वेत क्रांति 2.0 के लिए 4 प्रमुख क्षेत्रों को चुना गया है-
- डेयरी बुनियादी ढांचे को मजबूत करना
- दूध उत्पादन में वृद्धि करना
- दुग्ध निर्यात को प्रोत्साहित करना
- महिला किसानों को सशक्त बनाना
पशुपालकों की बढ़ेगी आमदनी –
यह योजना सीधे पशुपालकों के कल्याण से इसलिए जुड़ी है क्योंकि इसके तहत एक लाख मौजूदा जिला सहकारी समितियों, बहुउद्देश्यीय जिला सहकारी समितियों और बहुउद्देश्यीय प्राथमिक कृषि ऋण समितियों (Primary Agricultural Credit Societies- PACS) की स्थापना करना और उन्हें सशक्त बनाना शामिल है । जाहिर है डेयरी उद्योग से जुड़े किसानों और गो-पालकों की आय बढ़ेगी । शुरुआत में राष्ट्रीय डेयरी विकास बोर्ड (NDDB) इस पहल को वित्तीय सहायता देगा और एक हजार पैक्सों को 40-40 हजार रुपये की सहायता दी जाएगी । मंत्रालय ने 67,930 ‘पैक्स’ के कम्प्यूटरीकरण की भी योजना बनाई है, जिससे संभावित रूप से लगभग 13 करोड़ किसानों को लाभ होगा। योजना का लक्ष्य उन गांवों और पंचायतों में डेयरी किसानों तक पहुंचना है जहां दूध की खरीद नहीं हो पाती है ।
ब्याज मुक्त कर्ज, माइक्रो-एटीएम की ओर बढ़े कदम
ब्याज मुक्त कर्ज,दूसरी पहल के तहत सहकारी समितियों (sahkari samiti) के बीच सहयोग बढ़ाते हुए रुपे-किसान क्रेडिट कार्ड (RuPay Card) के माध्यम से डेयरी किसानों को ब्याज मुक्त नकद ऋण (interest free cash loan) प्रदान किया जाएगा । ‘इससे उन किसानों को काफी बचत होगी जो वर्तमान में 24 प्रतिशत ब्याज पर कर्ज लेने को मजबूर हैं । इसके अलावा डेयरी सहकारी समितियों को माइक्रो-एटीएम वितरित किए जाएंगे, जो उन्हें जिला सहकारी बैंकों से जुड़कर बैंक-मित्र में बदल देंगे। माइक्रो-एटीएम (Micro-ATMs) वास्तव एक कार्ड स्वाइप मशीन (प्वाइंट ऑफ सेल्स) का संशोधित रूप है, जिसमें फिंगर प्रिंट स्कैनर भी लगा होता है। इस कदम का उद्देश्य किसानों के दरवाजे तक बैंकिंग सेवाएं पहुंचाना है ।
री-फिट की मदद लें, बढ़ाएं दूध उत्पादन
Refit Animal Care के प्रोडक्ट्स दूध उत्पादन में आपके मददगार सिद्ध हो सकते हैं । इनमें सबसे खास है DOODH YODHA, जो दुधारू गाय, भैंस, बकरी, भेड़ की दूध देने की क्षमता को सुधारता और बढ़ाता है । यह दूध में वसा (fat) प्रतिशत और एसएनएफ (solids-not-fat) दर बढ़ाता है। पशुओं के बेहतर स्वास्थ्य, रोग प्रतिरोधक क्षमता और दुग्ध उत्पादन से जुड़े हमारे कई उत्पाद पशुपालकों के लिए काफी मददगार हैं।