हमारे देश में पशुपालन का काम खेती-बाड़ी के साथ आपस में जुड़ा हुआ है। ज्यादातर किसान गाय-भैंस या अन्य मवेशी पालते हैं जिससे अलग से आमदनी होती है । ऐसे में साहिवाल (Sahiwal) नस्ल की गाय पालना आम के आम और गुठली के दाम की तरह है । यह गाय अपनी दूध उत्पादन क्षमता की वजह से पशुपालकों की पसंदीदा नस्ल बनी हुई है क्योंकि भारत की देसी गायों में यह सबसे अधिक दूध देती है । क्या है इनकी खासियत, क्या है इनकी पहचान, कीमत क्या है और कैसे कमा सकते हैं ज्यादा मुनाफा, आइये इस Blog में जानते हैं ।
एक लाजवाब नस्ल-
दुनिया भर में दूध देने वाली गायें सबसे ज्यादा भारत में हैं और इनकी संख्या करीब 65 मिलियन (6.5 करोड़) के आसपास है । हमारे देश में गायों की 50 से अधिक नस्लें पाई जाती हैं, जिनमें साहिवाल नस्ल के मवेशी (Sahiwal breed of cattle) लगभग 5 मिलियन हैं । दरअसल, साहिवाल पाकिस्तान के पंजाब सूबे का एक इलाका है जहां से इस गाय की शुरुआत मानी जाती है । कहीं-कहीं इस गाय को मुल्तानी, लोला, मोंटगोमरी और लैंबी बार भी बोला जाता है । भारत में यह नस्ल उत्तर भारत के पंजाब, दिल्ली, हरियाणा, राजस्थान और मध्यप्रदेश में ज्यादा पाई जाती है । अपने पंजाब में फिरोजपुर जिले के फाज़िल्का और अबोहर में साहिवाल गायों की अच्छी तादाद है ।
साहिवाल की खूबियां-
- अगर आपको भी अच्छी नस्ल की गाय की तलाश है तो साहिवाल चुनें । यह हर मौसम के अनुसार अपने को ढाल लेती है ।
- इसका शरीर गर्मी, परजीवी और किलनी प्रतिरोधी होता है जिससे इसे पालने में अधिक पापड़ नहीं बेलने पड़ते हैं ।
- एक दिन में 10 से 16 लीटर तक दूध मिलता है यानी सालाना 2000 से 3000 लीटर । इसके दूध में वसा (fat) की मात्रा 4.9 प्रतिशत होती है ।
- अगर सही से देखभाल की जाए और संतुलित आहार दिया जाए तो दूध देने की क्षमता बढ़ाई जा सकती है । एक बार ब्याहने (मां बनने) पर 10 महीने तक दूध देती है।
- इस गाय की पहली प्रजनन अवस्था जन्म के 32 से 36 माह में आती है और आगे प्रजनन अवधि में करीब 15 महीने का अंतराल होता है।
- यह प्रजाति लंबी उम्र वाली होती है और लगभग 20 साल तक प्रजनन कर सकती है । देसी गायों में यह सबसे स्वस्थ प्रजाति (cow breed) होती है ।
- इन गायों को एशिया, अफ्रीका और कई कैरेबियाई देशों में भी निर्यात किया जाता है जहां से अच्छे दाम मिलते हैं ।
गाय एक-फायदे अनेक-
साहिवाल गाय होने का मतलब है पशुपालक की लॉटरी निकलना । एक तो गाय भरपूर दूध देगी दूसरा उससे कई बाई-प्रोडक्ट भी मिलेंगे । जैसे- गोबर, उपले, खाद, मूत्र, दूध से बनने वाला दही, घी, छाछ और मक्खन इत्यादि । गाय का गोबर खेत की मिट्टी की गुणवत्ता बढ़ाता है और रासायनिक खाद की जरूरत को कम करता है। वहीं साहिबाल (sahival) के दूध में 3 प्रकार के प्रोटीन पाए जाते हैं – अल्फा, बीटा और ग्लोबिन। खास बात है कि बीटा प्रोटीन में A1 और A2 एलील (alleles) पाया जाता है । एलील होने के कारण इसका दूध एक उपहार बन जाता है ।
साहिवाल की पहचान-
- साहिवाल गाय की पहचान बहुत आसान है। शारीरिक बनावट, सींग, सिर और रंग से ठीक-ठीक पहचान की जा सकती है।
- साहिवाल गाय Best Cow Breed के सींग छोटे और मोटे होते हैं। पैरे छोटे होते हैं लेकिन गर्दन लंबी और चाबुक जैसी पूँछ पतली और छोटी होती है।।
- इन गायों का सिर छोटा होता है और शरीर का आकार मध्यम लेकिन गठीला होता है। इसकी गर्दन के नीचे लटकती हुई भारी चमड़ी होती है।
- साहिवाल गाय (sahiwal cow) अधिकतर गहरे भूरे या लाल रंग की होती हैं । कुछ गायों के शरीर पर सफेद चमकदार धब्बे पाए जाते हैं। खाल यानी चमड़ी चिकनी और चमकदार होती है ।
- मादा गाय का वजन 300 से 400 किलोग्राम तक हो सकता है जबकि इस नस्ल के व्यस्क बैल का औसत वजन 450 से 500 किलोग्राम तक होता है ।
साहिवाल की कीमत-
इस बेजोड़ नस्ल की गाय की कीमत (Sahiwal Cow Price) 70,000 रुपए से शुरू होती है । हालांकि दूध देने की क्षमता, उम्र, स्वास्थ्य आदि पर भी कीमत निर्भर करती है । अलग-अलग पशु हाट बाजार में कीमत थोड़ी कम-ज्यादा हो सकती है। कुछ राज्यों में इसकी खरीद पर सब्सिडी भी दी जाती है जिसके बारे में आप स्थानीय पशुपालन विभाग से जानकारी ले सकते हैं ।
यूं तो Refit Animal Care के कई प्रोडक्ट गाय के बेहतर स्वास्थ्य और उत्पादन क्षमता को बढ़ाने से जुड़े हैं लेकिन RESHELL-H GOLD दुधारु पशुओं के लिए एक ऐसा तरल मल्टीविटामिन पूरक-आहार (Multivitamin liquid feed supplement) है जो थनों के विकास और उनमें दूध धारण करने की क्षमता में असरदार है। यह घातक थनैला रोग की पुनरावृत्ति को भी रोकता है । पशुचिकित्सक से सलाह के बाद इसके नियमित प्रयोग से आपका पशु आपके व्यवसायिक लाभ को दिन दूनी-रात चौगुनी रफ्तार से बढ़ा सकता है ।