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मानसून में अपने पशु-पक्षियों को बीमारियों से बचायें, अभी से कर लें ये उपाय

मानसून में अपने पशु-पक्षियों को बीमारियों से बचायें

हमारे देश में मानसून आमतौर पर जून से सितंबर के महीने तक रहता है । बारिश का मौसम इंसान ही नहीं पशु-पक्षियों के लिए भी बीमारी की जड़ होता है । जाहिर है, एक पशुपालक के लिए ऐसे हालात का सामना करना चुनौतीपूर्ण होता है क्योंकि इसका सीधा संबंध उसके नफे-नुकसान से होता है । इलाज से बेहतर बचाव है और इसीलिए अगर समय रहते ध्यान दिया जाए तो अचानक होने वाले किसी बड़े नुकसान से बचा जा सकता है । इस Blog में हम आपको बताएंगे कि वर्षा ऋतु में पशु-पक्षियों को किन बीमारियों का खतरा ज्यादा होता है और इससे बचने के लिए पहले से क्या उपाय कर लिए जाने चाहिए ।  

मानसून में होने वाले रोग (Diseases occurring in monsoon)

इंसान तो जैसे-तैसे अस्पताल जाकर अपना इलाज करवा लेता है लेकिन बेजुबान जानवर क्या करें ? ऐसे में पशुओं की बीमारियों को लक्षणों के आधार पर पहचाना जाता है । बरसात के मौसम में विषाणुजनित (viral) खुर और मुख संबंधी बीमारियों का खतरा ज्यादा रहता है । इन्हें खुरपका और मुंहपका कहा जाता है । इसके अलावा लंगड़ा बुखार (Black Quarter), गलघोंटू (घुरखा या घोटुआ), थनैला, दाद-खाज, मवेशी प्लेग (Rinderpest) जैसे रोग भी उभरने लगते हैं । इस दौरान पेट में कीड़े पड़ना भी आम है । इन सबका सीधा असर दुग्ध उत्पादन, गर्भधारण और प्रजनन पर ही नहीं पड़ता बल्कि जरा सी लापरवाही में मृत्यु भी हो जाती है जिससे पशुपालक को आर्थिक हानि झेलनी पड़ती है । 

रोकथाम की तैयारी (Preventive preparation)

मानसून आने से पहले यानी मई-जून में पशुओं को पेट के कीड़े की दवा खिलाने के साथ ही खुरपका, मुंहपका का टीका लगवाना जरूरी है लेकिन ध्यान रहे कि पशु गर्भावस्था में ना हो क्योंकि टीके का सीधा असर पशु के गर्भाशय पर पड़ता है । समय-समय पर पशुपालन विभाग की तरफ से पशु टीकाकरण अभियान चलाया जाता है जिसका फायदा जरूर उठाना चाहिए । अगर पशुओं के शरीर में किसी तरह का घाव या जख्म है तो समय रहते इलाज करवा लें । अन्यथा खुले घावों में कीट (मैगट) पड़ सकते हैं और बारिश में परेशानी और बढ़ सकती है । 

परजीवी संक्रमण से बचाव (Protection from parasite infection)

दरअसल, बारिश के दिनों में मक्खी, मच्छर ही नहीं चिंचड, किलनी और जूं भी पशुओं को काफी परेशान करते हैं। यह परजीवी खून चूसने के साथ-साथ कई तरह की घातक बीमारियां भी फैलाते हैं। जिस तरह इंसान को मच्छर के काटने से मलेरिया बुखार फैलता है उसी तरह एक विशेष प्रकार की मक्खी के काटने से पशुओं में Trypanosomiasis बीमारी फैलती है । अगर पशुओं के बाड़े में ज्यादा किलनियां होगीं Surra, Theileria, Babesiosis जैसे रोगों का खतरा भी बना रहेगा। 

बाड़ा या आवास प्रबंधन (Cattle Yard or housing management)

बरसात के दिनों में पशुओं के लिए उचित प्रबंधन पशुपालकों के लिए एक चुनौती होता है । अक्सर इस काम में जरा सी ढिलाई से आर्थिक नुकसान उठाना पड़ता है । इसलिए बरसात से पहले ही पशुओं के बाड़े की साफ-सफाई, पानी निकासी आदि की व्यवस्था दुरुस्त कर लेनी चाहिए । 

ध्यान रखें, पशुओं के आवास में अनावश्यक कीचड़, गोबर या कूड़े का ढेर न हो और नालियां साफ-सुथरी हों । गंदी और गीली जगह में ज्यादा देर तक रहने पर पशुओं के खुर खराब हो जाते हैं । उनमें कीड़ों के संक्रमण की संभावना भी रहती है । बाड़े में जल–जमाव के कारण पशुओं में गंभीर रोगों जैसे Koksidiyata या कुकड़िया रोग, Foot rot  या पैर सड़ांध, थनैला आदि का खतरा बढ़ जाता है। सप्ताह में कम से कम दो बार बाड़े में चूने के छिडकाव से पशुओं में पैर सड़ांध की समस्या को कम किया जा सकता है। इससे घातक रोगों के जनक कहे जाने वाले जीवाणुओं और परजीवियों को काबू किया जा सकता है। इसलिए बारिश से पहले ही पशुओं का बाड़ा सूखा एवं साफ-सुथरा कर लें । बाड़े की छत से पानी के रिसाव के रास्ते बंद कर दें ।

कई बार अधिक बारिश से बाढ़ आने, बिजली गिरने या फिसलन से दुर्घटना की वजह से पशुओं की मृत्यु भी होने की संभावना रहती है। ऐसे में पशुपालकों को अतिरिक्त सावधानी बरतने की जरूरत है । बरसात के दिनों में पशुओं को बिजली के खंभों से बांधकर नहीं रखना चाहिए। 

हरा चारा और पूरक-आहार (Green fodder and supplements)

चूंकि बारिश के मौतम में हरी घास, चारा इत्यादि काफी मात्रा में उपलब्ध होता है इसलिए इनका खूब प्रयोग करें । साथ में कुछ सूखा चारा जैसे गेहूं का भूसा या तुड़ी, मक्का और ज्वार की कुत्तर आदि भी खिलाएं । अक्सर पाया गया है ज्यादा मात्रा में हरा चारा भी नुकसान पहुंचा देता है । इसलिए सीमित और संतुलित मात्रा में ही प्रयोग करें और पशु चिकित्सक की सलाह जरूर लेते रहें । 

इस संबंध में Refit Animal Care अपने पूरक-आहार, टॉनिक और दवाइयों के साथ पशुपालक भाइयों की सेवा के लिए हर वक्त तैयार है । हमारे कई ऐसे उत्पाद हैं जो पशु-पक्षियों को मानसून के दौरान पनपने वाली बीमारियों से बचाये रखने में मदद करते हैं और रोगों से लड़ने की उनकी क्षमता को बचाते और बढ़ाते हैं । हमारे सभी प्रोडक्ट्स ऑनलाइन भी उपलब्ध हैं जिन्हें घर बैठे प्राप्त किया जा सकता है ।

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