मवेशियों का स्वास्थ्य बना रहे इसके लिए जरूरी है पशुपालक का चौकन्ना रहना । पशुओं की हर गतिविधि पर बारीक नजर रखना और जरा सा भी संदेह होने पर फौरन डॉक्टर से सलाह करना । कई बार छोटी-छोटी चीजों की अनदेखी एक दिन विकराल रूप रख लेती है और पशुपालक हाथ मलते रह जाते हैं । मिसाल के लिए पशुओं के लिए खनिज लवण (mineral salts) जरूरी हैं जो चारे और दाने के जरिये पूरी हो जाती है लेकिन अक्सर दुधारु पशु (Dudharoo pashu) को इनकी विशेष जरूरत होती है और अगर समय रहते इसे पूरा न किया जाए तो समस्या पैदा हो सकती है । इस Blog में हम बताएंगे कि पशुओं में आयरन की कमी (Iron deficiency in cattle) को पहचानें कैसे और इसका उपचार क्या है ?
आयरन की जरूरत ही क्यों ?
लोहा (iron), मैंगनीज ( manganese), तांबा( copper) और जस्ता( zinc) जैसी धातुओं को आवश्यक ट्रेस तत्वों (trace metals ) के रूप में जाना जाता है जो पशुओं के विकास, स्वास्थ्य और चयापचय (metabolism) में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं । शरीर में एंटीबायोटिक्स के उत्पादन में भी आयरन की भूमिका होती है।
मवेशियों में अधिकांश लौहतत्व दो जगह इकट्ठा होता है । पहला है हीमोग्लोबिन (hemoglobin) जो लाल रक्त कोशिकाओं में पाया जाने वाला प्रोटीन है और फेफड़ों से ऑक्सीजन को पूरे शरीर में ऊतकों तक पहुंचाता है । दूसरा है मायोग्लोबिन (Myoglobin) जो मांसपेशियों की कोशिकाओं में मौजूद प्रोटीन है और जरूरत के मुताबिक ऑक्सीजन का भंडारण (storage) और वितरण (distribution) करता है । आयरन महत्वपूर्ण प्रोटीन और एंजाइम बनाने में भी मदद करता है जो माइटोकॉन्ड्रिया (Mitochondria) में कोशिकाओं के पावर सेंटर को चलाते हैं।
पशुओं को कितने आयरन की जरूरत ?
मनुष्य हो या पशु, आयरन की जरूरत (pashu ko aayran ki jaroorat ) एक छोटी मात्रा में ही होती है लेकिन अगर इसकी कमी रह गई तो कई बीमारियों को न्योता जरूर दे देती है । मवेशियों को हर किलोग्राम चारे के लिए लगभग 50 मिलीग्राम आयरन मिलना चाहिए। इसका मतलब है कि अगर एक गाय प्रतिदिन लगभग 13 किलोग्राम चारा खाती है, तो उसे प्रतिदिन लगभग 650 मिलीग्राम आयरन लेना चाहिए। इसी तरह दुधारू पशुओं में हीमोग्लोबिन की मात्रा प्रति 100 ML खून में 7 से 14 ग्राम होनी चाहिए ।
आयरन की कमी कैसे पहचानें ?
चूंकि खून बनाने में आयरन का महत्वपूर्ण काम है इसलिए खून की कमी का मतलब है आयरन की कमी । जिन पशुओं में अत्यधिक चिचड़ों या किलनी (tick) की मौजूदगी रहती है या जो बछड़े केवल दूध के सहारे जीवित हों या फिर लम्बे समय से दस्त हो रहे हों तो ऐसे पशुओं में आयरन की कमी (Iron deficiency in animals ) तय है। आयरन की कमी से गाय, भैंस, बकरी, भेड़, ऊंट जैसे दुधारु पशु दूध कम देने लगते हैं और उनमें सुस्ती, भूख की कमी और खराब विकास, वजन बढ़ना, चक्कर खाकर गिर जाना इत्यादि दिखने लगता है । इसलिए खून पीने वाले कीटों और कीड़ों पर भी ध्यान दें जो पशुओं से खून और ज़रूरी पोषक तत्व निकाल लेते हैं। खून में हीमोग्लोबिन के निर्माण के लिए आयरन ज़रूरी होता है और बार-बार काटने से आयरन की कमी और यहां तक कि पशुओं में एनीमिया (anemia in animals) तक हो सकता है। यूरिया का बढ़ता प्रयोग, फसल कटाई में हार्वेस्टर का उपयोग और हरे चारे की कमी भी आयरन की कमी का कारण बनती है ।
चारे से न मिलने वाले खनिजों की कमी लौहतत्व से भरपूर तरल अनुपूरक ( Liquid Iron Tonic Supplement) से आसानी से पूरी सकती है। एनीमिया, रुका हुआ विकास, सूखा रोग (rickets) कमजोर हड्डियां (osteocalcin), दूध का बुखार (milk fever) आदि में RE-FERROL BY REFIT की सिफारिश की जाती है । अच्छी गुणवत्ता वाले विटामिन और मिनरल्स से बना यह टॉनिक मवेशियों में सर्रा ((Surra) ) और लाल पानी की बीमारी (babesiosis) में खून की कमी के कारण एचबी स्तर (Haemoglobin levels) को ठीक करने के लिए भी असरदार है । इस मिश्रण में आयरन, कॉपर, कोबाल्ट, फोलिक एसिज के साथ ही विटामिन B2, B6, B7, B12 शामिल है । यह पशुओं का शारीरिक विकास करता है, उनमें उर्जा जगाता है और रोगों से लड़ने की ताकत बढ़ाता है । ध्यान रखें, बहुत ज़्यादा आयरन भी हानिकारक हो सकता है इसलिए सप्लीमेंट लेने से पहले अपने डॉक्टर से बात जरूर करें ।
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