खुजली एक अत्यधिक संक्रामक त्वचा रोग है जो एक या कई प्रजातियों के घुनों (Mites) के संयोजन (combination) से भी होता है। घुन पालतू पशुओं और मनुष्यों ही नहीं, जूनोटिक (zoonotic ) महत्व के वन्यजीवों को भी प्रभावित करते हैं। जंगली और पालतू जानवरों में सबसे आम घुन की प्रजाति Sarcoptic mange है। यह एक बाह्यपरजीवी (ectoparasite) है जो दुनिया भर में स्तनधारियों की 100 से अधिक प्रजातियों को संक्रमित करता है। संक्रामक और जानलेवा होने की वजह से पशुपालकों को काफी आर्थिक नुकसान हो सकता है । इस Blog में जानते हैं कि इस समस्या की पहचान, जांच, रोकथाम और उपचार क्या हैं ।
लक्षण और पहचान –
आमतौर पर पशुओं में किसी भी त्वचा रोग के लक्षण दिखने और समझने में लंबा वक्त लग जाता है, जिस का नतीजा होता है कि पशु का गंभीर रूप से बीमार हो जाना या उसकी मृत्यु हो जाना । घुन त्वचा की ऊपरी परत में घुस जाते हैं और काफी नुकसान पहुंचाते हैं । कीड़े ( जूं, किलनी, चिचड़ इत्यादि ) और scabies mange जो त्वचा पर रहते हैं या उसमें बिल बनाते हैं, उन्हें एक्टोपारासाइट्स (ectoparasites) के रूप में जाना जाता है । यह पशुओं के त्वचा रोगों (pashuon ke twacha rog) का प्रमुख कारण है और ज्यादातर मामलों में उन्हें स्थायी रूप से समाप्त नहीं किया जा सकता है । परिणामस्वरूप यह पशु संसाधन और पालन के विकास में एक बड़ी बाधा है और भारी पशुधन उत्पादन नुकसान का कारण बनता है। खुजली वाले घुन (scabies mites) की अन्य नस्लें दूसरे स्तनधारियों जैसे – घरेलू बिल्लियों, कुत्तों, सुअरों और घोड़ों में संक्रमण का कारण बन सकती हैं।
संक्रमण और फैलाव –
सरकोप्टिक मैंज (sarcoptic mange) एक अत्यधिक संक्रामक रोग है जो संक्रमित और आम जानवरों के बीच सीधे संपर्क या दूषित फ़ोमाइट्स (fomites) द्वारा फैलता है । फ़ोमाइट्स उन वाहकों (carrier) को कहते हैं जो संक्रमण (Infection) ले जा सकते हैं और फैला सकते हैं। इससे होने वाले घाव सिर, गर्दन और कंधों पर शुरू होते हैं और शरीर के अन्य हिस्सों में फैल सकते हैं। तेज खुजली मचती है जिससे त्वचा में पपड़ी पड़ जाती हैं । त्वचा मोटी हो जाती है और बड़ी सिलवटें (folds) बन जाती है। Sarcoptic mange या Sarcoptes scabiei का जीवन चक्र 10-17 दिनों का होता है और यह किसी भी उम्र, नस्ल या लिंग के मवेशियों को संक्रमित कर सकता है। इस खुजली से प्रभावित मवेशियों के साथ काम करने वाले मनुष्य भी इसकी चपेट में आ सकते हैं ।
जीवन चक्र –
घुन का पूरा जीवन चक्र पशु (गाय, भैंस, भेड़, बकरी इत्यादि) की त्वचा पर व्यतीत होता है। संक्रमित पशु से सामान्य पशु में घुन के संचरण (transmission) से खुजली होती है। दरअसल, वयस्क मादा घुन को नर द्वारा निषेचित (fertilized) किया जाता है और फिर त्वचा की स्ट्रेटम ग्रैनुलोसम (stratum granulosum) में दफन कर दिया जाता है जो मरने से पहले छह सप्ताह तक प्रति दिन शून्य से चार अंडे देती हैं। अंडे देने के दो से चार दिन बाद लार्वा (Larvae) निकलते हैं और त्वचा की सतह को काटकर नए बिल खोदना शुरू कर देते हैं। पूरे चक्र में लगभग दो सप्ताह लगते हैं । तीन से छह सप्ताह की अवधि के बाद, घुन मेटाबोलाइट्स (mite metabolites) के प्रति संवेदीकरण ( sensitization ) होता है, जिससे पशु को खुजली होती है। संक्रमित पशु अंडा सेने की इस अवधि (incubation period) के दौरान तेजी से खुजली फैला सकते हैं ।
माइक्रोस्कोप से जांच –
इसके लिए पशु की त्वचा को एक स्केलपेल (scalpel) या इसी तरह के ब्लेड जैसे उपकरण से खून रिसने के बिंदु तक गहरी खरोंच की जाती है। इसके साथ ही कुछ और प्रक्रियाएं अपनाने के बाद तलहटी (sediment) में ग्लिसरीन की कुछ बूंदें मिलाई जाती हैं और फिर उसकी माइक्रोस्कोप (microscope) की मदद से जांच की जाती है ।
रोकथाम और उपचार –
ध्यान रखें, पशुओं के बाड़े में ऐसे कोई चीज न रखें जिससे उनके शरीर को कोई चोट पहुंचे । यहां हरदम साफ-सफाई के साथ ही पशुओं के अच्छे खानपान, विटामिन और खनिज मिश्रण का ध्यान रखना भी बहुत जरूरी है । साथ ही, लिवर टौनिक व बालों के लिए कंडीशनर का प्रयोग करना चाहिए. अक्सर खराब रोग-प्रतिरोधक क्षमता वाले पशु चपेट में जल्दी आते हैं और समय पर इलाज न मिलने पर दूसरे पशुओं को भी संक्रमित करते जाते हैं । ध्यान रहे, सभी उपचार पशुचिकित्सक की निगरानी में किए जाने चाहिए।
पशुओं में सरकोप्टिक खुजली (Sarcoptic mange in cattle) के उपचार के विकल्पों में 4-6 सप्ताह के लिए साप्ताहिक प्रिस्क्रिप्शन कीटनाशक डिप्स (prescription insecticidal dips) या 6 सप्ताह के लिए हर 1-2 सप्ताह में दी जाने वाली पारंपरिक एंटीपैरासिटिक (antiparasitic ) दवाएं शामिल हैं। इस मामले में सभी पालतू पशुओं का एक ही समय में इलाज किया जाना चाहिए, भले ही उनमें लक्षण दिखाई न दे रहे हों । संक्रमित पशु (sankramit pashu) को अलग करते हुए सभी पशुओं की जांच और इलाज जरूरी है । चूँकि घुन (ghun) के अंडे फूटने में 2-3 सप्ताह लगते हैं और घुन लगभग 2 सप्ताह तक वातावरण में बने रह सकते हैं इसलिए 2-3 सप्ताह के अंतराल पर उपचार की आवश्यकता होती है।
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