ये हैं सबसे ज्यादा दूध देने वाली स्वदेशी भैंस की टॉप 10 नस्लें, अपनाएं और मुनाफा कमाएं !

दूध देने वाली भैंस नस्लें

गाय की तुलना में भैंस के दूध में वसा अधिक होती है। इसलिए किसान भैंसो का पालन ज्यादा करते हैं। परंतु भैंस की तुलना में गाय का दूध अधिक गुणकारी होता है। किसान अधिक मुनाफा कमाने के लिए भैंस का पालन करते हैं। भारत में भैंसो की कई नस्लें पाई जाती हैं। इस Blog  में जानिये, भारत में पाई जाने वाली स्वदेशी नस्ल की टॉप 10 दुधारु भैंसो (Top 10 milch buffaloes of indigenous breed in India) के बारे में  ।

मुर्रा (Murrah Buffalo) :

  • हरियाणा और  पंजाब में ज्यादा पाई जाने वाली यह प्रजाति भारत ही नहीं दुनिया की सबसे ज्यादा दूध देने वाली भैंसों में से एक है । 
  • यह 3 साल की उम्र में गर्भधारण के लिए तैयार हो जाती हैं। 
  • एक दिन में लगभग 15 से 20 लीटर तक दूध देने की क्षमता (High milk yielding capacity of Murrah breed) रखती है । दूध में 7 प्रतिशत तक वसा होता है। 

नीली रावी (Neeli Raavi Buffalo) :

  • इस नस्ल का ताल्लुक मिंटगुमरी (पाकिस्तान) से है ।
  • यह एक दिन में औसतन 14 -16 लीटर दूध देती है और दूध में वसा (Fat in Neeli Ravi Buffalo Milk) की मात्रा 7 प्रतिशत होती है। मादा भैंस का वजन 450 किलो होता है। 
  • इस नस्ल का उपयोग भारी सामान खींचने के लिए भी किया जाता है।

जाफराबादी (Jaffrabadi Buffalo) :

  • गुजरात के जाफराबाद से नाता रखने वाली यह प्रजाति भावनगर, जूनागढ़ अमरेली और पोरबंदर में ज्यादा पाली जाती है।
  • अधिक और मीठा दूध (Jafarabadi buffalo sweet milk) देने में इसका जवाब नहीं । यह हर दिन 15 से 20 लीटर तक दूध दे सकती है। यह सबसे ज्यादा दिन तक दूध देती है।
  • जाफराबादी भैंस 4 से 5 साल में बच्चे देने के लिए तैयार हो जाती है। इस भैंस में हर साल बच्चे देने की क्षमता होती है।

मेहसाणा (Mehsana Buffalo):

  • यह प्रजाति गुजरात और महाराष्ट्र के कुछ हिस्सों में पाई जाती है। इसे भी खासतौर पर दूध के उत्पादन (mehsana buffalo milk production) के लिए पाला जाता है।
  • मेहसाणा भैंस गर्भधारण में नियमितता, दूध के निरंतरता और लंबे समय तक दूध उत्पादन के लिए जानी जाती है ।
  • यह भैंस प्रति दिन 10 -15 लीटर तक दूध देने की क्षमता रखती है। इसके दूध में वसा की मात्रा भी अच्छी होती है। 

भदावरी (Bhadawari Buffalo) :

  • उत्तर प्रदेश का आगरा और इटावा जिला तथा मध्य प्रदेश का ग्वालियर जिला भदावरी का प्रजनन क्षेत्र है।
  • भदावरी अन्य भैंस प्रजातियों की तुलना में रोग और गर्मी के स्थिति में अपनी प्रतिरोधक क्षमता बनाये रखती है।
  • औसत दूध उपज 800 – 1,000 किलोग्राम प्रति स्तनपान चक्र (ब्यांत) है। दूध में वसा की मात्रा 6 से 12 प्रतिशत के बीच होती है।

नागपुरी (Nagpuri Buffalo):

  • इन्हें एलिचपुरी या बरारी के नाम से भी जाना जाता है।
  • नागपुरी का प्रजनन क्षेत्र नागपुर, अकोला के साथ-साथ महाराष्ट्र के अमरावती जिले हैं।
  • नागपुरी भैंस का दूध उत्पादन 700-1,200 किलोग्राम प्रति स्तनपान है।

सुरती  (Surti Buffalo)

  • इसका प्रजनन क्षेत्र गुजरात का कैरा और बड़ौदा जिला है, जिसे डेक्कनी, गुजराती या नाडियाडी नाम से भी जाना जाता है।
  • यह दुधारु भैंस पहले स्तनपान अवधि में औसत दूध उत्पादन 1,500 – 1,600 किलोग्राम है।
  • इस नस्ल की ख़ासियत यह है कि दूध में वसा का प्रतिशत बहुत अधिक यानि लगभग 8 से 12% होता है ।

पंढरपुरी (Pandharpuri Buffalo ):

  • यह बहुत ही मजबूत और कद्दावर भैंस है जो महाराष्ट्र के शुष्क क्षेत्रों के लिए काफी उपयुक्त है ।
  • पंढरपुरी भैंस की नस्ल अपनी उच्च प्रजनन क्षमता के लिए प्रसिद्ध है, जो हर 12 से 13 महीने में एक बछड़ा पैदा करती है।
  • औसतन प्रतिदिन 6-7 लीटर दूध का उत्पादन कर सकती हैं। अगर बढ़िया प्रबंधन, आहार और देखभाल हो तो प्रतिदिन 15 लीटर तक हो सकता है ।
गोदावरी (Godavari Buffalo) :
  • इसकी रोग प्रतिरोधक क्षमता कमाल की होती है । देखभाल में खर्च भी कम आता है।
  • इसकी प्रजनन क्षमता उच्च होती है। इस नस्ल की भैंसों का गर्भधारण काल 280 दिनों का होता है।
  • प्रतिदिन 6 से 9 लीटर तक बढ़िया क्वालिटी का दूध देती है । बेहतर वातावरण मिलने पर यह 12 से 16 लीटर तक भी हो सकता है । दूध में 5 से 7 फीसद फैट होता है।
बन्नी
  • इसे कच्छी या कुंडी के नाम से भी जाना जाता है। यह भैंस मुख्य रूप से गुजरात के कच्छ जिले में पाई जाती है।
  • बन्नी भैंस में दूध उत्पादन की क्षमता अधिक होती है । बाकी नस्लों की तुलना में यह रोग प्रतिरोधी भी अधिक होती है।
  • इन्हें आनुवंशिक रूप से बेहतर भैंसों की आबादी बढ़ाने में मदद करने के लिए चुना गया जिससे दूध की उपज अधिक हुई।
चिल्का (Chilka Buffalo)
  • ओडिशा में चिल्का झील के आसपास के गांवों से इसकी उत्पत्ति हुई है । यह मध्यम आकार की और तंदरुस्त होती है ।
  • यह पशु 30-34 महीने में परिपक्वता प्राप्त कर लेते हैं । स्तनपान की अवधि लगभग 238 दिन है
  • यह नस्ल दोहरे मकसद वाली है । इसमें अच्छी गुणवत्ता का दूध और भार उठाने की क्षमता है।

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