गाभिन भैंस की ऐसे करें देखभाल, ये टॉप-10 टिप्स कर देंगे कमाल !

गाभिन भैंस की देखभाल

डेयरी फार्म का व्यापार तभी फायदेमंद है जब पशुओं का प्रबंधन ठीक से हो क्योंकि यही मुनाफे का आधार है । ऐसे में गाभिन भैंसों की देखभाल (care of pregnant buffaloes) करना बहुत ज़रूरी है ताकि गर्भकाल में उनका स्वास्थ्य अच्छा रहे और वे स्वस्थ बछड़े को भी जन्म दें। गर्भधारण से भैंस के ब्याने तक के समय को गर्भकाल कहते हैं। इस दौरान उनकी देखभाल के 10 बेहद कारगर टिप्स इस Blog में जानें ।


  1. पोषण का ध्यान रखें

भैंस को अपने जीवनयापन और दूध देने के अलावा अपने बच्चे के विकास के लिए भी पोषक तत्वों की जरूरत होती है। इसलिए गाभिन भैंसों को उत्तम आहार (Best diet for pregnant buffaloes) देना ज़रूरी है। इसमें प्रोटीन, कार्बोहाइड्रेट, विटामिन और खनिज होना चाहिए। आहार में कैल्शियम भी शामिल करें क्योंकि ये गर्भावस्था में भैंस और बछड़े, दोनों के  सही विकास के लिए ज़रूरी है। चारे में हमेशा हरी घास, अनाज और चारे का मिश्रण देना अच्छा रहता है। उन्हें पानी हमेशा पर्याप्त मात्रा में मिलना चाहिए ताकि वे हाइड्रेटेड रहें।


  1. सेहत की निगरानी

गर्भावस्था के दौरान भैंस की सेहत पर पैनी नजर रखनी चाहिए । अगर गर्भाशय में कोई समस्या हो या बुखार, कमजोरी या कोई असामान्य लक्षण दिखाई दे तो तुरंत पशु चिकित्सक से सलाह लें। गर्भावस्था के दौरान हॉर्मोनल बदलाव आते हैं, इसलिए उनकी सेहत की जांच नियमित रूप से करवाते रहें।


  1. हल्का व्यायाम

गाभिन भैंसों को हल्का-फुल्का चलने-फिरने दें ताकि मांसपेशियों में लचीलापन बना रहे और वजन नियंत्रित रहे। ध्यान रहे, इस दौरान उन्हें ऊँची-नीची या ऊबड़-खाबड़ स्थान और गहरे तालाब में नहीं ले जाना चाहिए। इससे बच्चेदानी में बल पड़ सकता है। इस दौरान रोज हल्का व्यायाम ही काफी होता है । अत्यधिक परिश्रम करवाना, चलना या किसी प्रकार के मानसिक तनाव से बचाना चाहिए। उन्हें ऐसे पशुओं से दूर रखना चाहिए जिनका गर्भपात हुआ हो।


  1. साफ-सफाई

गर्भावस्था में संक्रमण का खतरा अधिक होता है, इसलिए सफाई पर विशेष ध्यान दें। भैंस के प्रजनन अंगों को साफ रखना ज़रूरी है, ताकि वे किसी प्रकार के संक्रमण से बच सकें। शरीर को साफ और सूखा रखना चाहिए।


  1. विश्राम और आराम

भैंस का बाड़ा उबड़-खाबड़ तथा फिसलन वाला नहीं होना चाहिए। बाडे़ में कच्चा फर्श/रेत अवश्य हो लेकिन सीलन नहीं होनी चाहिए। गाभिन भैंस को उचित मात्रा में सूर्य की रोशनी मिल सके इसका ध्यान रखें। इससे शरीर में विटामिन डी 3 बनता है जो कैल्शियम के संग्रहण में सहायक है । पशु को ब्याने के बाद दुग्ध ज्वर (milk feber) से भी बचाया जा सकता है।


  1. टीकाकरण

गर्भावस्था में भैंस के लिए टीकाकरण (vaccination for buffalo) ज़रूरी है जो बैक्टीरियल या वायरल संक्रमण से बचाता है । इसमें प्रसव से 4-6 हफ्ते पहले लगने वाला Tetanus Toxoid, गर्भावस्था के पहले 3-5 महीनों में लगने वाला FMD (Foot and Mouth Disease) वगैरह हैं ।


  1. पशु चिकित्सक की सलाह

नियमित रूप से किसी अच्छे पशु-चिकित्सक से परामर्श लेते रहें। वह समय-समय पर गर्भ की स्थिति का निरीक्षण कर सकते हैं और किसी तरह की मुश्किल से बचने के लिए आवश्यक उपचार कर सकते हैं।


  1. अंतिम दिनों की देखभाल

इस समय भैंस को जन्म देने के लिए शारीरिक और मानसिक रूप से तैयार किया जाता है। भैंस को एक शांत और सुरक्षित जगह पर रखना चाहिए जहाँ वह सहजता से बछड़े को जन्म दे सके। उसे अन्य पशुओं से अलग कर देना चाहिए । अंतिम तीन महीने में बच्चा तेजी से बढ़ता है इसलिए आठवें, नवें और दसवें महीने में अधिक पोषक आहार दें । इसी समय भैंस अगले ब्यांत में अच्छा दूध देने के लिए अपना वजन बढ़ाती है और पिछले ब्यांत में हुई पोषण की कमी को पूरा करती है ।


  1. जन्म के बाद देखभाल

बछड़े का जन्म होते ही उसकी देखभाल करना भी महत्वपूर्ण होता है। यह सुनिश्चित करें कि बछड़ा जल्द से जल्द माँ का दूध पी ले। जन्म के बाद भैंस को संतुलित आहार (balanced diet for buffalo) देना चाहिए ताकि वह स्वस्थ रहे।


  1. कैलेंडर बनाएं

बेहतर होगा, भैंस के गर्भधारण (buffalo pregnancy) की तारीख और उसके अनुसार प्रसव के अनुमानित समय को घर के कैलेण्डर या डायरी में लिख कर रखें । भैंस की गर्भावस्था लगभग 310-315 दिन की होती है । इससे किसान ब्याने के समय से पहले पूरी तैयारी करके रखेंगे ।


Refit Animal Care का CALF SAKHA एक ऐसा लिक्विड टॉनिक है जो बछड़ों को जन्म के बाद होने वाली अनेक समस्याओं से बचाये रखता है। इसमें आवश्यक पोषक तत्व हैं जिन्हें बढ़ते बछड़ों की पोषण संबंधी आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए अनोखे ढंग से संयोजित किया गया है। यह बछड़ों (Calf) के विकास के लिए उनके एक सखा यानी दोस्त की तरह काम करता है । ये तेजी से वजन बढ़ाता है और बढ़ती उम्र में विटामिन की कमी नहीं होने देता । आयरन की कमी और किसी तरह के कुपोषण को दूर करते हुए रोगों से बचाव करता है । ये एनीमिया और कमज़ोरी के लिए भी प्रभावी उपाय है ।

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