भारत जितना विशाल है उतना ही विशाल है यहां का कुक्कुट पालन उद्योग (Poultry Industry) । यह उद्योग लगातार बड़े पशुपालकों और किसानों ही नहीं बल्कि छोटे और सीमांत किसानों को भी आकर्षित कर रहा है । जाहिर है इतने बड़े आकार के उद्योग के लिए ऐसे पूरक आहारों (Feed Supplements ) की भी मांग बढ़ी है जिससे मुर्गे-मुर्गियों की प्रजनन (Reproduction), अंडा उत्पादन (Egg Production) और रोग प्रतिरोधक क्षमता (disease resistance ) बढ़ सके । इस Blog में हम भारत में पोल्ट्री से जुड़े पूरक आहार निर्माण की वर्तमान स्थिति, चुनौतियों और संभावनाओं के बारे में जानकारी दे रहे हैं ।
भारत का पोल्ट्री उद्योग-
EMR मार्केट रिसर्च के अनुसार 28.18 बिलियन अमेरिकी डॉलर के भारतीय पोल्ट्री उद्योग (Poultry Industry ) के 2024-2032 की अनुमानित अवधि में 8.1% की CAGR से बढ़ने की उम्मीद है । कृषि अनाज का उत्पादन प्रति वर्ष 1.5 से 2 प्रतिशत की दर से बढ़ रहा है जबकि अण्डे उत्पादन और ब्रायलर (broiler ) की वृद्धि दर प्रति वर्ष 8 से 10 प्रतिशत है। आज हमारा देश लगभग 74 बिलियन अंडे और 3.8 मिलियन टन पोल्ट्री मांस का उत्पादन करता है । भारत इस समय अण्डा उत्पादन में विश्व का पांचवा और ब्रायलर के उत्पादन में अठ्ठारवां सबसे बड़ा उत्पादक
कम खर्च, ज्यादा मुनाफा-
भारत में पिछले चार दशकों में पोल्ट्री व्यवसाय पशुधन प्रजातियों के बीच सबसे तेजी से विकसित हुआ है। यही वजह है कि भारत में मुर्गीपालन का व्यवसाय हमेशा से पशुपालकों और किसानों का पसंदीदा रहा है । कम खर्च में ज्यादा मुनाफा देने वाले इस व्यवसाय को बाजार में लगातार बढ़ती मीट और अंडे की मांग ने नई ऊंचाइयां पर पहुंचा दिया है । कुक्कुट उद्योग राष्ट्रीय सकल घरेलू उत्पाद (National Gross Domestic Product) में लगभग 70,000/- करोड रुपये का योगदान दे रहा है और प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रुप से 40 लाख लोगों से अधिक लोगों को रोजगार दे रहा है।
अंडे-मांस की मांग और आपूर्ति-
एक अनुमान के मुताबिक अंडों की प्रतिव्यक्ति प्रतिवर्ष वर्तमान उपलब्धता 54 और चिकन की उपलब्धता 2.2 किलो है । जबकि ICMR की सिफारिश है कि प्रतिव्यक्ति प्रतिवर्ष 180 अंडे और 10.8 किलो पोल्ट्री मांस की उपलब्धता होनी चाहिए। इस तरह उपलब्धता और आवष्यकता के बीच की खाई को पाटने के लिए लेयर और ब्रॉयलर उद्योग को क्रमषः 5 और 10 गुना बढ़ाया जाना चाहिए।
मुर्गियों को पूरक-आहार की जरूरत-
पोल्ट्री यानी मुर्गीपालन क्षेत्र आधुनिक तकनीक, सुविधाओं और मार्केटिंग के जरिए अपने पैरों पर खड़ा हो चुका है । अब किसानों को समझ है कि पारंपरिक आहार आधारित फ़ीड से कहीं ज्यादा उन अधिक कारगर पोषण पर ध्यान देने की जरूरत है जिससे उच्च उत्पादकता और आर्थिक लाभ प्राप्त किया जा सके । मुर्गियों के स्वस्थ विकास और उनसे अधिकतम उत्पादन सुनिश्चित करने के लिए गुणवत्ता वाले पोल्ट्री फ़ीड सप्लीमेंट्स की खुराक के जरिये उन्हें उचित पोषण देना भी आवश्यक है। इस तरह पोल्ट्री फ़ीड उत्पादों के उपयोग को लेकर जागरूकता आई है ।
पूरक-आहार निर्माताओं का योगदान-
देश के पूरक आहार निर्माता (Poultry Feed Supplements Manufacturer) मुर्गियों के प्रजनन, बीमारियों की पहचान, दवा और टीकों के विकास के अलावा उन्नत पूरक-आहार भी उपलब्ध करवा रहे हैं । यह आवश्यकता करीब 32 मिलियन मीट्रिक टन फीड प्रतिवर्ष की है । पोल्ट्री फ़ीड आमतौर पर अनाज, बीज, प्रोटीनयुक्त सामग्रियों के साथ-साथ सोयाबीन , महत्वपूर्ण पोषक तत्व, खनिज और विभिन्न योजकों के एक अच्छी तरह से संतुलित मिश्रण से बना होता है। यह उनकी पोषण संबंधी अतिरिक्त आवश्यकताओं को पूरा करता है और उत्कृष्ट मांस-अंडे के उत्पादन में योगदान देता है।
पूरक-आहार निर्माताओं के लिए चुनौतियां-
पोल्ट्री फीड सप्लीमेंट्स (Poultry Feed Supplements) बाजार में विकास की संभावनाएं आशाजनक हैं लेकिन उसे कई चुनौतियों और बाधाओं का भी सामना करना पड़ रहा है । कच्चे माल विशेषकर सोयाबीन और मक्के की कमी के साथ एक कारगर फॉर्मूलेशन को बनाना फ़ीड निर्माताओं के लिए चुनौतियां पैदा करता है। कच्चे माल की बढ़ती कीमत भारतीय पशुचारा अनुपूरक बाजार की वृद्धि के लिए एक प्रमुख अवरोधक है। जलवायु परिवर्तन और अनियमित मानसून से फसलों के उत्पादन पर असर पड़ता है और उनकी कीमतें ऊंची हो जाती हैं। चूंकि फ़ीड एसिड, एंटीऑक्सिडेंट और विटामिन प्राकृतिक संसाधनों जैसे बीज, छाल और पौधों की पत्तियों से निकाले जाते हैं। इससे पूरक-आहार निर्माताओं के लिए किफायती मूल्य पर पौष्टिक पूरक आहार उपलब्ध करवाना एक टेढ़ी खीर होता जा रहा है। इसकी वजह से पहले से अनुमानित अवधि के दौरान पूरक-आहार बाजार की बढ़ोत्तरी में भी बाधा उत्पन्न हो सकती है।
इसके अलावा नियामक (Regulatory) जटिलताएँ भी बाधाएँ प्रस्तुत करता है। यही नहीं असंगठित फ़ीड निर्माताओं के पैर पसारते जाने से इस क्षेत्र के स्थापित व्यवसायियों के लिए असहज स्थिति भी उत्पन्न होती रहती है ।
पूरक-आहार निर्माताओं के लिए पात्रता-
- एक अच्छे अनुपूरक आहार निर्माता के पास उत्पादों की एक ऐसी श्रृंखला होनी चाहिए जो अधिकतम पोल्ट्री पोषण और बीमारियों के समधान में सक्षम हों।
- उपलब्ध उत्पाद श्रृंखला किफायती दामों वाली होनी चाहिए और ग्राहकों तक पहुंच बनाने की ठोस क्षमता होनी चाहिए।
- उत्पादों को अच्छी तरह से शोध, अनुभव और आवश्यकता के अनुरूप होना चाहिए । तैयार किये गए फॉर्मूलेशन सिद्ध और उच्च गुणवत्ता वाले होने चाहिए।
- निर्माताओं के पास स्थानीय, राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय गुणवत्ता मानकों, दिशा-निर्देशों और कानूनों का पूरी तरह पालन करने वाली वाली अत्याधुनिक और प्रमाणित निर्माण सुविधा होनी चाहिए।
- स्थानीय पशु चिकित्सकों, स्वयंसेवी संस्थाओं और पशु मालिकों के साथ व्यापक रूप से संपर्क स्थापित होना चाहिए और उनकी आवश्यकताओं की जानकारी होनी चाहिए ।
- अपने उत्पाद के आधुनिक संग्रहण के साथ ही ग्राहकों तक पहुंचाने के लिए व्यापक विपणन और वितरण नेटवर्क होना चाहिए ।
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