अपने पशुओं और भैंसों को गलाघोटू जैसी खतरनाक बीमारी से बचाएं

अपने पशुओं और भैंसों को गलाघोटू जैसी खतरनाक बीमारी से बचाएं

गलाघोंटू (Hemorrhagic Septicemia) मवेशियों (पशुओं) और भैंसों को प्रभावित करने वाला एक अत्यधिक संक्रामक और घातक बैक्टीरियल रोग है। यह मुख्य रूप से गरम और ज्यादा नमी वाले क्षेत्रों में पाया जाता है। यह पस्टोरेल्ला मुलतौकीदा (Pasteurella multocida) नामक जीवाणु के विशिष्ट प्रकार (B:2 और E:2) के संक्रमण के कारण होता है।

गलाघोंटू के संक्रमण के कारण:

  • जीवाणु: Pasteurella multocida के सीरोटाइप B:2 और E:2 प्राथमिक कारण हैं।
  • संक्रमण: संक्रमित जानवरों, दूषित चारे, पानी या उपकरणों के सीधे संपर्क में आने से फैलता है।
  • अन्य कारण: मौसम परिवर्तन, परिवहन करते समय संक्रमित जानवरों के सीधे संपर्क में आने से, अधिक भीड़भाड़ वाली जगह, कुपोषण और ऐसी बीमारियां जो रोग प्रतिकारक शक्ति को कमजोर कर देती हैं।

गलाघोंटू के लक्षण:

  • तीव्र: अचानक तेज बुखार (लगभग 41°C तक), सुस्ती, भूख न लगना, दूध उत्पादन में कमी।
  • श्वसन संबंधी: सांस लेने में तकलीफ, खाँसी, नाक का स्राव झागदार हो जाना ।
  • सूजन: चेहरे, गले और छाती के आसपास सूजन हो जाना ।
  • आंतरिक रक्तस्राव: त्वचा, श्लेष्म झिल्ली (mucous membrane) और आंतरिक अंगों में रक्तस्राव होता है।
  • तेजी से बढ़ना: इलाज न मिलने पर 24-48 घंटों के भीतर मृत्यु हो सकती है।

गलाघोंटू का उपचार:

  • प्रारंभिक हस्तक्षेप महत्वपूर्ण है: निदान और उपचार के लिए तुरंत पशु चिकित्सक से परामर्श करें।
  • एंटीबायोटिक्स: प्रयोगशाला में परीक्षणों के आधार पर विशिष्ट सीरोटाइप की पहचान के लिए एंटीबायोटिक दिया जाता है।
  • सहायक देखभाल: बुखार और दर्द को नियंत्रित करने के लिए तरल पदार्थ एवं दवाइयां दी जाती है।
  • टीकाकरण: टीकाकरण प्राथमिक रोकथाम के लिए आवश्यक है, लेकिन यह हमेशा 100% प्रभावी नहीं होती है।

गलाघोंटू का रोकथाम:

  • टीकाकरण: अपने पशु चिकित्सक की सलाह के अनुसार नियमित रूप से मवेशियों को उपयुक्त सीरोटाइप-विशिष्ट टीकों का टीकाकरण करें।
  • संपर्क से बचें: संक्रमित जानवरों या दूषित सामग्री के संपर्क को कम करने के लिए सख्त जैव सुरक्षा उपायों को लागू करें।
  • क्वारंटाइन: नए शामिल किए गए जानवरों को झुंड में शामिल करने से पहले अलग रखें और उनका अच्छी तरह से अवलोकन करें।
  • स्वच्छता: रहने, खाने के और पानी पिने के स्थानों को साफ और कीटाणुरहित रखें।
  • तनाव प्रबंधन: पर्याप्त चारा, पानी, आश्रय उपलब्ध कराइये ।
  • प्रारंभिक पहचान और रिपोर्टिंग: थोड़ा भी संदेह होने पर तुरंत पशु चिकित्सा अधिकारियों को सूचित करें।

भारत में गलाघोंटू के टीकाकरण की सुविधाएं:

  • सरकारी पशु चिकित्सालय में मुफ्त या किफायती दरों पर HS टीकाकरण सेवाएं प्रदान की जाती हैं।
  • निजी पशु चिकित्सालय और पशु स्वास्थ्य केंद्र भी टीकाकरण सेवाएं प्रदान करते हैं।

गलाघोंटू से बचाव के लिए सावधानियां:

  1. समय पर, नियमित रूप से उचित टीकाकरण करवाए |
  2. संक्रमित जानवर को तुरंत क्वारंटाइन करें |
  3. नियमित रूप से अपने मवेशियों और भैंसों का HS की लिए निरीक्षण करें जैव सुरक्षा |
  4. मवेशों को स्वस्थ भोजन, स्वच्छ आश्रय और पानी की वयवस्था करें |
  5. किसी भी असामान्य लक्षण या बीमारी के बारे में तुरंत अपने पशु चिकित्सक को सूचित करें।
  6. अपने क्षेत्र में एचएस के प्रकोप और टीकाकरण कार्यक्रमों के बारे में अपडेट रहें।

गलाघोंटू के जैसे खतरनाक रोग के कारणों, लक्षणों, उपचार और रोकथाम उपायों को समझकर, आप अपने मवेशियों को सुरक्षित रखिये और इस गंभीर बीमारी के प्रसार को नियंत्रित करने में अपना महत्वपूर्ण योगदान दीजिये।

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