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मुर्गों में डायरिया की कैसे करें पहचान, क्या हैं कारण, कैसे करें रोकथाम और इलाज ?

How to treat diarrhea in chickens

Table of Contents

मुर्गी पालन व्यवसाय में सबसे बड़ी समस्या मुर्गियों में होने वाली बीमारियों से निपटना है । कई बार जरा सी लापरवाही या अनदेखी से समस्या बढ़ भी जाती है । इसलिए पहले से ऐसी बीमारियों को लेकर अलर्ट रहने और समय रहते उनके बारे में जानकारी हासिल कर लेने की जरूरत है ताकि मुर्गीपालन के आपके जमे-जमाये काम पर असर न पड़े । इस Blog में हम मुर्गे-मुर्गियों में होने वाले डायरिया रोग के लक्षण, रोकथाम और इलाज के बारे में जानकारी दे रहे हैं । 

क्या है चिकन डायरिया ?

पोल्ट्री में डायरिया (Ddiarrhea in poultry) एक बड़ी समस्या है जिसके लक्षणों में बार-बार पतला यानी पानी (Watery diarrhea in chickens) जैसा लगातार मल आना और पेट में दर्द शामिल है । चिकन डायरिया के कई कारण (causes of chicken diarrhea) हो सकते हैं, आइये समझते हैं ।

  • ख़राब झुंड प्रबंधन – पोल्ट्री में ढेर सारे चिकन की निगरानी रखना मुश्किल जरूर है पर एक जरूरी काम है । डायरिया की सही पहचान न कर पाने की वजह से कभी-कभार यह बीमारी एक से दूसरे में चला जाता है जिससे तेजी से संक्रमण बढ़ सकता है ।

  • बैक्टीरिया – चिकन डायरिया आम जीवाणु संक्रमण जैसे – Salmonella spp Clostridium perfringens, Campylobacter jejuni इत्यादि की वजह से होता है । यह उनके पाचन तंत्र को संक्रमित कर सकते हैं जिससे सूजन और जलन होगी और दस्त शुरू हो सकते हैं । pullorum disease या bacillary white diarrhoea एक गंभीर जीवाणु रोग है जिसमें सफेद दस्त होता है और अंडे के उत्पादन के दौरान फैलता है।

  • वायरस – मुर्गों में Adenovirus, reovirus, rotavirus, Newcastle disease (ND) virus, avian influenza virus (AIV) और infectious bronchitis virus (IBV) सबसे आम वायरल संक्रमण हैं । इससे आंतों में सूजन की वजह से दस्त हो सकते हैं। इसका इलाज एंटीबायोटिक्स के साथ-साथ प्रोबायोटिक्स के जरिए किया जाता है ।

  • परजीवी – परजीवी संक्रमण (parasite infection) मुर्गों में दस्त के लक्षण भी पैदा कर सकता है। coccidiosis एक ऐसा ही रोग है अत्यधिक दस्त के कारण होता है और ज्यादा गंभीर स्थिति में मुर्गे की मृत्यु भी हो सकती है । इसके लिए मुर्गों के पाचन और शौच क्रिया पर नजर रखनी होती है ।

  • खराब किडनी – अगर आपके मुर्गे की किडनी अगर खराब हो चुकी है तो उसे असामान्य रूप से दस्त का शिकार होना पड़ता है और कई बार इस पर काबू पाना मुश्किल बन जाता है ।
  • अतिरिक्त प्रोटीनयुक्त चारा – कई बार प्रोटीन वाला चारा अगर ज्यादा मात्रा में दिया जाए तो इससे भी खराब पाचन तंत्र वाले मुर्गों को दस्त की समस्या आ सकती है ।

  • खान-पान में अनियमितता – मुर्गों को असंतुलित आहार, दूषित चारा (contaminated feed) , खराब पेयजल या पीने का गंदा बर्तन भी खिलाने से दस्त हो सकता है। खान-पान में बरती गई किसी भी तरह की लापरवाही दस्त को न्यौता दे सकती है । यहां तक कि अत्यधिक मात्रा में नमक, प्रोटीन या वसा (fat) देने से भी समस्याएं हो सकती हैं।

कैसे करें रोकथाम ?

कहा जाता है कि इलाज से बेहतर है उसकी रोकथाम । इसलिए ऊपर बताये गए कारणों का ध्यान रखें और ऐसे हालात ही न बनने दें कि मुर्गे डायरिया की चपेट में आएं । कुछ उपाय हैं, जिसे जरूर करें ।

  • टीकाकरण- कई वायरल और बैक्टीरियाजन्य संक्रमणों के लिए टीके (vaccines ) उपलब्ध हैं जिनसे मुर्गों के पाचन तंत्र को स्वस्थ रखने और संक्रमण की रोकथाम में मदद मिलती है । इस बारे में अपने पशुचिकित्सक से परामर्थ करते रहें ।

  • पोषण में सुधार – मुर्गों की पोषण से जुड़ी जरूरतों को पूरा करने वाला संतुलित आहार देने से उनके पाचन तंत्र का स्वास्थ्य बना रहता है और दस्त की समस्या आने से बचा जा सकता है । इसके अलावा स्वच्छ चारा और पानी जरूरी है । आहार में बेवजह के बदलाव से भी बचें क्योंकि इससे पाचन की समस्या हो सकती हैं।

  • वातावरण प्रबंधन-  पोल्ट्री फार्म के वातावरण पर्यावरण अनुकूल रखना आवश्यक है । इसके लिए फार्म का स्वच्छ और हवादार होना, भीतर अनावश्यक भीड़भाड़ या झुंड बनने से रोकना और उचित तापमान बनाये रखना जरूरी है ।

  • साफ-सफाई और जल प्रबंधन – मुर्गों के रहने की जगह को साफ और सूखा रखें । कूड़ा या मल-मूत्र नियमित रूप से साफ किया जाता रहे । जल के सभी स्रोत (source) प्रदूषण रहित हो और पानी की गुणवत्ता की निगरानी होती रहे।

  • जैव सुरक्षा प्रबंध– इसके तहत यह सुनिश्चित किया जाता है कि पशु-पक्षियों को संक्रामक तत्वों, विषाक्त पदार्थों और अन्य जैविक खतरों या फिर किसी आकस्मिक संकट के समय कैसे बचाया जाए । इसमें आपके फार्म के लोगों, दूसरे पशु-पक्षियों, मशीनों और वाहनों की आवाजाही को नियंत्रित करना भी शामिल है।

डायरिया का इलाज कैसे करें ?

डायरिया से चिकन बेहद कमजोर हो जाते हैं जिससे मांस और अंडे के उत्पादन में गिरावट आ सकती है । समय पर ध्यान न देने से मृत्यु दर भी बढ़ सकती है। इसलिए डायरिया का इलाज (chicken diarrhea treatment) करवाने में ध्यान रखें ।

  • इलाज का तरीका क्या हो और एंटीबायोटिक्स या अन्य दवाओं के इस्तेमाल से पहले पशुचिकित्सक से मशवरा करें ।

  • मुर्गों के झुंड में दस्त के अंदरूनी कारणों की पहचान करें और उस पर तत्काल नियंत्रण पायें ।

  • बीमारी को फैलने से रोकने के लिए दस्त के शिकार मुर्गों को झुंड से फौरन अलग कर दें।

  • ऐसे में मुर्गे को निर्जलीकरण से बचाने के लिए ताजा पानी उपलब्ध कराना अनिवार्य होता है ।

  • मुर्गों के पाचन तंत्र में सुधार और उनकी प्रतिरक्षा प्रणाली (Immunity system) को बचाये रखने के लिए आहार में प्रोबायोटिक्स जोड़ सकते हैं ।

Refit Animal Care   का प्रोडक्ट DIAROVET विटामिन, खनिज और जड़ी-बूटियों के मिश्रण से तैयार एक एंटी-डायरिया पाउडर है जो मुर्गों के पाचनतंत्र से जुड़े स्वास्थ्य के लिए अत्यंत लाभदायक है। गर्मियों मे होने वाले डायरिया (Summer Diarrhea) और बिगड़े हुए या जटिल (Chronic Diarrhea) के लिए यह विशेष रूप से उपयोगी है ।

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