पशुओं का टीकाकरण एक ऐसा ही सटीक उपाय है जिससे जाने-अनजाने होने वाले रोग से पशु बचे रहते हैं और पूरी क्षमता से पशुधन का उत्पादन करते हैं । टीकाकरण में जरा सी देरी या लापरवाही खतरनाक हो सकती है और भारी आर्थिक नुकसान उठाना पड़ सकता है । इसीलिए कहा गया है कि इलाज से बेहतर है रोकथाम । कौन सा टीका, कब और कितनी मात्रा में लगना है, इस बारे में जानने के लिए Blog को पूरा पढ़ें और लाभ उठाएं ।
क्या होता है टीका ?
टीका ( vaccine ) एक प्रकार का चिकित्सीय उत्पाद है जो कि पशुओं के रोग सुरक्षात्मक प्रतिरोधक क्षमता (Resistance capacity ) को बढाता है, साथ ही उन्हें विविध रोगकारक जैसे- जीवाणु, विषाणु, परजीवी एवं रक्त आदिजंतु (protozoa ) इत्यादि के संक्रमण से लड़ने के लिए शरीर को तैयार करता है। टीकाकरण (vaccination ) से पशुओं के शरीर में किसी रोग विशेष के प्रति एक निश्चित मात्रा में प्रतिरक्षा क्षमता (antibodies) विकसित होती है, जो उन्हें उस रोग विशेष से बचाती है।
टीकाकरण से जुड़ी सावधानियां
कोई भी टीका किसी खास रोग से सुरक्षा के लिए बनाया जाता है लेकिन अगर इसके इस्तेमाल में सही तौर-तरीके न अपनाये जाएं तो कुछ हल्का रिएक्शन भी देखने को मिलता है, जैसे – मामूली बुखार, दर्द, सूजन या एंजेक्शन वाली जगह पर लालिमा। इसलिए वैक्सीनेशन से पहले और बाद में कुछ बातों का ध्यान रखना जरूरी है ।
- अस्वस्थ या बीमार पशुओं को टीका नहीं लगाना चाहिए
- गर्भधारण किये हुए पशुओं को पशु चिकित्सक से परामर्श के बाद ही टीका लगवाएं
- टीकाकरण के तुरंत बाद परजीवी-रोधी दवा (antiparasitic drug) पशु चिकित्सक की सलाह पर दें
- चारे में खनिज लवण मिश्रण (mineral salt mixture) का इस्तेमाल कम से कम 45 दिनों तक करें
- वैक्सीन लगवाने वाले पशुओं को बीमार या बिना टीके वाले पशुओं से अलग रखना चाहिए
- टीकों का रखरखाव कोल्ड चेन सिस्टम के तहत किया जाए ताकि उचित तापमान बना रहे
- वैक्सीन को निर्धारित समय सीमा में प्रयोग कर लें वरना उसकी क्षमता पर असर पड़ता है
किस रोग के लिए कौन का सा टीका ?
प्रत्येक रोग का टीका अलग-अलग होता है । एक विशेष प्रकार के रोग का टीका केवल उसी बीमारी के रोगाणु से सुरक्षा करता है । इसके लिए टीकाकरण से पहले पूरी जानकारी जुटाना जरूरी है । आइये जानते हैं किन-किन प्रमुख रोग के लिए कौन सा टीका जरूरी है ।
गलाघोंटू –
बरसात के दिनों में होने वाला यह खतरनाक प्रमुख जीवाणु जनित रोग है और इससे बचाव के लिए वर्षा ऋतु से पहले टीकाकरण जरूरी है । इस रोग में एडजूवेंट टीका (adjuvant vaccine) दिया जाता है।
खुरपका-मुँहपका –
खुरदार पशुओं में होने वाला यह रोग विषाणु द्वारा फैलता है। इसके लक्षणों में पशु का बार-बार पैर पटकना, खुर के आसपास सूजन, मुँह से लार गिरना, जीभ, मसूडे व होंठ में छाले होना, कार्य क्षमता में कमी आना और बुखार होना शामिल है । इस रोग से संक्रमित पशुओं को FMD टीका दिया जाता है। आमतौर पर मार्च-अप्रैल या सितंबर-अक्टूबर में टीका लगाया जाता है ।
लंगड़ा बुखार –
इस रोग में Polyvalent B.Q. टीका दिया जाता है । इसे मानसून आने से पहले देना ज्यादा फायदेमंद रहेगा ।
ब्रूसेल्लोसिस (Brucellosis) – गाय, भैंस, भेड़, बकरी, सुअर और कुत्तों में होने वाले इस रोग की वजह से गर्भ धारण के तीसरे चरण में अक्सर गर्भपात हो जाता है । आमतौर पर गाभिन पशु में इसका टीका नहीं दिया जाता। टीके का नाम है – Cotton strain 19.
पीपीआर –
भेड़-बकरियों में होने वाला यह बहुत ही खतरनाक रोग है। रोग के लक्षण हैं – बुखार, सर्दी- खांसी, गोबर पतला होना और भूख कम लगना । 5 दिन तक इलाज नहीं करने पर पशु की मृत्यु तक हो सकती है । इसे भी मानसून से पहले लगाना चाहिए। वैक्सीन का नाम है – Attenuated Tissue culture.
रोग | टीका | पहला टीका लगाने की उम्र | मात्रा | अवधि | पशु |
गलाघोंटू | Oil adjuvant | हर उम्र में | 3 ML | सालाना | गाय, भैस, भेड़ बकरी |
खुरपका-मुंहपका | FMD | 4 माह | 2 ML | छमाही | गाय, भैस, भेड़ बकरी |
लंगड़ा बुखार | Polyvalent B.Q. | हर उम्र में | 2 ML | सालाना | गाय, भैस, भेड़ बकरी |
Brucellosis | Cotton strain 19 | 6 माह | 5 ML | 4-5 वर्ष | गाय, भैंस |
PPR | Attenuated Tissue culture | 4 माह | 1 ML | 3 वर्ष | भेड़, बकरी |
Anthrax | Anthrax spore | हर उम्र में | 1 ML | सालाना | गाय, भैस, भेड़ बकरी |
Tetanus | Tetanus Toxoid | हर उम्र में | 1 ML | सालाना | गाय, भैंस |
IBR | IBR | 5 माह | 2 ML | सालाना | गाय, भैंस |
चेचक | Pox | 3-4 माह | 0.5 ML | सालाना | भेड़, बकरी |
Enterotoxemia | Enterotoxemia | 3-4 माह | 2.5 ML | छमाही | भेड़, बकरी |
Rinderpest (कोपनी) | GTB/TCB | 6 माह से ऊपर | 1 ML | जीवन में एक बार | गाय, भैस, भेड़ बकरी |
ऊपर बताये गए रोग और उनकी वैक्सीन के अलावा कई और बीमारियों की वैक्सीन उपलब्ध
हैं । जैसे – एंथ्रेक्स, टिटनेस, आईबीआर, चेचक, इंटेरोट्राक्सेमिया, रिन्डरपेस्ट (कोपनी) इत्यादि । समय-समय सरकारी स्तर पर भी पशुपालन विभाग टीकाकरण शिविर आयोजित करता है जिसकी जानकारी संबंधित कार्यालय से जुटाई जा सकती है ।
इसके साथ साथ पशुओं के खान-पान और रहन-सहन को भी दुरुस्त रखना होगा ताकि उनकी वो
बीमारियों से खुद लड़ सकें । इस संबंध में Refit Animal Care के कई लाभदायक cattle feed supplements बाजार में उपलब्ध हैं। तो, अपने पशुधन व्यवसाय को लाभप्रद बनाने और अपने पशुओं को रोग-मुक्त रखने के लिए हमसे संपर्क करें। हमारा हेल्पलाइन नंबर है – +91 72399-72499